लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रही टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया की ओर से सोमवार को बड़ा ऐलान किया जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वोडाफोन आइडिया खुद की रिब्रांडिंग करने की तैयारी में है। शेयरों की बिक्री और नए निवेशकों से कर्ज के जरिए 25,000 करोड़ रुपये जुटाने के फैसले के बाद कंपनी यह बड़ा ऐलान कर सकती है। माना जा रहा है कि कंपनी इस दौरान कोई बड़ा रणनीतिक ऐलान कर सकती है, जिससे टेलिकॉम सेक्टर में आने वाले दिनों में एक बार फिर से हलचल देखने को मिल सकती है। ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन और भारत के आदित्य बिड़ला ग्रुप के पास इस कंपनी का मालिकाना हक है। दोनों ग्रुप ने जियो की लॉन्चिंग के बाद आपस में विलय कर लिया था और वोडाफोन आइडिया नाम से नई कंपनी अस्तित्व में आई थी।
रिपोर्ट्स की माने तो रीब्रांडिंग में वोडाफोन आइडिया की कंबाइंड आईडेंटिटी और एडवरटाइजिंग होगी, अब तक दोनों कंपनियां अपना अलग-अलग प्रचार कर रही थीं। उम्मीद है कि रिलॉन्च के बाद कंपनी देश भर में अपने उपभोक्ताओं के लिए नए पैकेजों की घोषणा कर सकती है। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने इक्विटी शेयर की सेल के माध्यम से 15,000 करोड़ रूपए और नॉन कन्वर्टिबल डिवेंचर के पब्लिक ऑफर या प्राइवेट प्लेसमेंट के माध्यम से 15,000 करोड़ जुटाने की योजना बनाई है। हालांकि कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को अपने स्टेटमेंट में बताया यह टोटल 25,000 करोड़ रूपए से ज्यादा नहीं होगा।
इकॉनामिक टाइम्स के अनुसार कंपनी अपने निवेशकों को एडिशनल कंफर्ट देने के लिए क्रेडिट इनहैस्मेंट पर भी विचार कर रही है ताकि 1.7 ट्रिलियन रूपए के कर्ज़ को कम किया जा सके। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में वोडाफोन-आइडिया का Ebitda 4,100 करोड़ रूपए था, जो इसके कैपेक्स, ब्याज, डेफेरड स्पेक्ट्रम और एजीआर का वार्षिक 30,000 करोड़ रुपए बकाया चुकाने के लिए काफी नहीं है।
अक्टूबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से कंपनी को उस समय बड़ा झटका लगा था, जब सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनी से 58,254 करोड़ का बकाया एजीआर सरकार को चुकाने को कहा था। हालांकि बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए बकाया एजीआर चुकाने के लिए कंपनी को 10 साल का वक्त दिया है। हालांकि वोडाफोन आइडिया ने एजीआर के 7,854 करोड रुपए टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट को चुका दिए थे। वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कंपनी का तिमाही घाटा पिछले वर्ष की पहली तिमाही के घाटे के मुकाबले 25,460 करोड़ रुपए बढ़ गया जो घाटा पिछले वर्ष की तिमाही में 11,643 करोड़ रुपए था।