अमेरिका ने बुधवार को ईरान के मिसाइल और ड्रोन प्रोग्राम में मदद करने के लिए भारत, चीन और कई अन्य देशों की कंपनियों सहित 32 लोगों पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की। यह कदम तेहरान के खिलाफ ट्रंप प्रशासन के “अधिकतम दबाव” अभियान का हिस्सा है।

अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध

हमारी सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, अमेरिकी विदेश विभाग के एक बयान के अनुसार, ये प्रतिबंध ईरान, भारत, चीन, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, जर्मनी और यूक्रेन के व्यक्तियों और कंपनियों पर लागू हैं। अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने कहा कि इन समूहों ने ईरान को मिसाइल और ड्रोन बनाने के लिए आवश्यक रसायनों सहित महत्वपूर्ण सामग्री प्राप्त करने में मदद की।

आतंकवाद और वित्तीय खुफिया मामलों के लिए वित्त मंत्रालय के उपसचिव जॉन हर्ले ने कहा, “दुनिया भर में, ईरान मनी लॉन्ड्रिंग, अपने परमाणु और पारंपरिक हथियार कार्यक्रमों के लिए कंपोनेंट की खरीद और अपने आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने के लिए वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग करता है।”

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ये प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा सितंबर के आखिरी में ईरान पर परमाणु संबंधी प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के निर्णय के बाद लगाए गए हैं। ये प्रतिबंध 2015 में परमाणु समझौते के तहत हटा दिए गए थे।

हर्ले ने आगे कहा, “अमेरिका उम्मीद करता है कि अन्य देश ईरान को ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम तक पहुंचने से रोकने के लिए इन संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू करेंगे।”

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अमेरिका ने क्यों लगाए हैं भारत की कंपनियों पर प्रतिबंध?

अमेरिकी विदेश विभाग ने पुष्टि की है कि कुछ प्रतिबंध भारतीय नागरिकों और भारत स्थित कंपनियों पर लक्षित हैं। इन कंपनियों पर उन नेटवर्कों का हिस्सा होने का आरोप है जो ईरान को बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोनों में मदद करते हैं।

इन कंपनियों या व्यक्तियों के नामों का खुलासा किए बिना, ये उपाय ईरान पर 27 सितंबर को अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहने के लिए लगाए गए संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों का समर्थन करते हैं। इसका लक्ष्य ईरान के मिसाइलों और अन्य हथियारों के विकास को रोकना और आईआरजीसी को अस्थिर करने वाली गतिविधियों का समर्थन करने वाले धन और संसाधनों तक पहुंचने से रोकना है।

यह पहली बार नहीं है जब भारतीय संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। पिछले महीने ईरान को ऊर्जा व्यापार में मदद करने के आरोप में 8 भारतीय नागरिकों और कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए थे। जुलाई में ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के कथित व्यापार के लिए छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए थे।