अमेरिकी सरकार ने संकटग्रस्त चिप निर्माता कंपनी इंटेल (Intel) में करीब 10% हिस्सेदारी लेते हुए 8.9 अरब डॉलर का निवेश किया है। इस बात की घोषणा शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इंटेल कंपनी ने मिलकर की।

ट्रंप ने इस समझौते को एक ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया। उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल (Truth Social) पर लिखा,“यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है कि मैं यह जानकारी दे रहा हूं कि संयुक्त राज्य अमेरिका अब पूरी तरह से इंटेल (INTEL) कंपनी में 10% हिस्सेदारी का मालिक और नियंत्रक है। यह एक महान अमेरिकी कंपनी है, जिसका भविष्य और भी अविश्वसनीय होने वाला है।”

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ट्रंप ने कहा कि मैंने व्यक्तिगत तौर पर इंटेल के चीफ एग्जिक्युटिव ऑफिसर लिप-बू-टैन के साथ बातचीत की और डील फाइनल की। उनके मुताबिक, इस समझौते में अमेरिकी टैक्सपेयर्स पर कोई बोझ नहीं पड़ा।

उन्होंने लिखा, “संयुक्त राज्य अमेरिका ने इन शेयरों के लिए कुछ भी भुगतान नहीं किया है और अब इन शेयरों का मूल्य लगभग 11 अरब डॉलर है। यह अमेरिका के लिए एक बेहतरीन डील है और साथ ही इंटेल के लिए भी।”

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सेमीकंडक्टर सेक्टर में आगे बढ़ेगा अमेरिका

यह हिस्सेदारी ट्रंप की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वे वैश्विक चिप निर्माण (global chipmaking) में अमेरिका की भूमिका को मजबूत करना चाहते हैं। सेमीकंडक्टर को आज की दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी नेतृत्व का केंद्र माना जाता है। ये चिप्स स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर आधुनिक रक्षा प्रणालियों (defence systems) तक, लगभग हर क्षेत्र में अनिवार्य हैं।

सरकार ने इंटेल के ये शेयर 20.47 डॉलर प्रति शेयर की दर से खरीदे, जिससे कुल मिलाकर लगभग 433.3 मिलियन शेयर हो गए। इस निवेश के लिए फंडिंग दो प्रमुख स्रोतों से की गई है:

-बाइडन युग के CHIPS and Science Act के तहत उपलब्ध अप्रयुक्त (unallocated) ग्रांट्स

-पेंटागन के Secure Enclave प्रोग्राम से 3.2 अरब डॉलर का आवंटन

इंटेल के कामकाज में US की कोई भूमिका नहीं

बड़ी हिस्सेदारी के बावजूद, अमेरिकी सरकार सीधे तौर पर इंटेल के फैसला लेने में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाएगी। कंपनी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार का निवेश से बोर्ड में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा। उसे गवर्नेंस (प्रबंधन) अधिकार भी नहीं होंगे और न ही कंपनी की गोपनीय जानकारी तक कोई विशेष पहुंच दी जाएगी।

इंटेल के सीईओ लिप-बू टैन ने कहा कि कंपनी इस बात के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है कि दुनिया की सबसे एडवांस्ड तकनीकें अमेरिका में ही बनाई जाएं। टैन ने इसी साल मार्च में सीईओ पद संभाला है और कंपनी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।

हाल ही में इंटेल ने अपनी 15% वर्कफोर्स में कटौती करने की घोषणा भी की थी। उनका मानना है कि अमेरिकी सरकार का यह निवेश कंपनी को टेक्नोलॉजी रेस में फिर से मजबूती देगा।

बाजार की प्रतिक्रिया

शुक्रवार को घोषणा के बाद इंटेल के शेयरों में 7% की उछाल देखी गई। निवेशकों ने इस सौदे को कंपनी के लिए स्थिरता लाने वाला कदम माना। यह समझौता ऐसे समय आया है जब वैश्विक सेमीकंडक्टर प्रतिस्पर्धा (global competition in semiconductors) तेज हो रही है।

ताइवान की TSMC और दक्षिण कोरिया की सैमसंग, दोनों ही एडवांस्ड चिप प्रोडक्शन (advanced chip production) में अभी भी सबसे आगे हैं।

जापान की सॉफ्टबैंक (SoftBank) ने भी इस हफ्ते की शुरुआत में इंटेल में 2 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। इस प्रतिबद्धता को इंटेल की टर्नअराउंड रणनीति (turnaround strategy) के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन का संकेत माना जा रहा है।

यह इंटेल में हिस्सेदारी खरीदना शायद एक बार की डील नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका की अन्य महत्वपूर्ण इंडस्ट्रीज (critical industries) की कंपनियों के साथ भी ऐसे ही समझौते करना चाहते हैं। उन्होंने इसे ‘विन-विन डील’ बताया।

ट्रंप प्रशासन पहले ही Nvidia और AMD के साथ असामान्य समझौते कर चुका है। इन कंपनियों ने हाल ही में सहमति जताई है कि वे अपनी चीन से जुड़ी बिक्री (China-related sales) का एक हिस्सा अमेरिकी सरकार के साथ साझा करेंगी। इसके बदले उन्हें एक्सपोर्ट लाइसेंस प्रदान किए गए हैं।