How Anil Ambani’s empire falls: अर्श से फर्श तक का सफर शायद इसे ही कहते हैं, जैसा रिलायंस ग्रुप के मुखिया अनिल अंबानी का रहा है। आज से 11 साल पहले दुनिया के छठे सबसे अमीर शख्स रहे अनिल अंबानी का आज कहना है कि उनके पास कर्ज चुकाने के लिए फूटी कौड़ी नहीं है। एक बाद एक उनकी कंपनियां कर्ज चुकाने के मामले में डिफॉल्टर साबित हो रही हैं। कंपनियों के शेयर 90 पर्सेंट तक गिर गए हैं। दूसरी तरफ उनके भाई मुकेश अंबानी भारत और एशिया के सबसे अमीर शख्स हैं। आइए, जानते हैं कैसे मुकेश अंबानी ने हासिल की ऊंचाई और कैसे लुढ़कते गए अनिल…

पिता धीरूभाई के निधन के बाद से ही शुरू हो गया था विवाद: उदारीकरण के दौर में बदलती तकनीकों के बाद भी रिलायंस इंडस्ट्रीज को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाले ग्रुप को संस्थापक धीरूभाई अंबानी का 2002 में निधन हुआ था। कहा जाता है कि उसके बाद से ही दोनों भाइयों में अनबन शुरू हो गई थी और अंत में दोनों के बीच कारोबार का बंटवारा हो गया। 2007 में अनिल के पास 45 अरब और मुकेश अंबानी की संपत्ति करीब 49 अरब डॉलर थी।

मुकेश को पेट्रोलियम और अनिल को मिला टेलीकॉम कारोबार: दोनों के बीच मां कोकिलाबेन की देखरेख में बंटवारा हुआ तो मुकेश के हिस्से परंपरागत कारोबार जैसे पेट्रोलियम कंपनियां लगीं तो अनिल अंबानी को टेलीकॉम सेक्टर की अहम कंपनियां दी गईं। उस दौर में टेलीकॉम सेक्टर का उभार हो रहा था और माना जा रहा था कि भविष्य में अनिल अंबानी कारोबार में सिक्का जमा सकते हैं, लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी न हुईं।

एयरसेल समेत कई सौदे फेल होने से झटका: अनिल अंबानी की कुल संपत्ति का 66 फीसदी हिस्सा रिलायंस कम्युनिकेशन में था। लेकिन, इस कंपनी को वह बदलते दौर के साथ आगे न बढ़ा सके। 2010 में रिलायंस कम्युनिकेशन की जीटीएल इन्फ्रा से 50,000 रुपये की डील लटक गई। फिर भी अंबानी ने 3जी, अंडर-सी केबल और नेटवर्क के विस्तार के लिए निवेश जारी रखा। इसके बाद साल 2017 में कंपनी का एयरसेल के साथ विलय का सौदा भी नाकाम रहा। एक तरफ कंपनी ने लगातार सीडीएमए की 2जी और 3जी तकनीक में जमकर निवेश किया, लेकिन 4जी के आने पर 2018 में अचानक ही कारोबार से निकलने का ऐलान कर दिया। इसके चलते अनिल अंबानी की कंपनी ने एक झटके से करीब 8 करोड़ ग्राहक को खो दिए।

एंटरटेनमेंट में बड़े निवेश से भी लगा झटका: अनिल अंबानी के पास रिलायंस कम्युनिकेशन के अलावा फाइनेंशियल सेक्टर में काम करने वाली रिलायंस कैपिटल और ऊर्जा कंपनी रिलायंस एनर्जी भी थी। रिलायंस कम्युनिकेशन में हुए घाटे का असर इन कंपनियों पर भी पड़ा और वह लगातार कर्ज के दलदल में फंसते चले गए। बंटवारे के बाद अनिल अंबानी ने सबसे बड़ा निवेश एंटरटेनमेंट सेक्टर में किया था। इसके लिए उन्होंने रिलायंस एंटरटेनमेंट के नाम से कंपनी बनाई थी, लेकिन लगातार असफल अधिग्रहणों के चलते घाटा ही हाथ लगा।

अनिल का एग्जिट और मुकेश ने जियो से की धमाकेदार एंट्री: एक तरफ अनिल अंबानी ने 2018 में टेलीकॉम सेक्टर को छोड़ दिया तो दूसरी तरफ यही वह दौर था, जब मुकेश अंबानी एक बार फिर से टेलीकॉम में लौटे और धमाकेदार एंट्री की। रिलायंस जियो के जरिए उन्होंने टेलीकॉम ही नहीं बल्कि एंटरटेनमेंट सेक्टर में भी बड़ी एंट्री मारी है। शुरुआती महीनों में दिग्गज कंपनियों को पस्त करने के लिए बड़े निवेश के बाद रिलायंस जियो मुनाफे की ओर बढ़ चली है।

6 महीने में गंवा दी 75 फीसदी पूंजी: कारोबारी दुनिया में अनिल अंबानी ने कितनी तेजी से अपनी पोजिशन गंवाई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 6 महीनों में उनकी पूंजी करीब 75 फीसदी घट गई। जून से लेकर दिसंबर 2019 के दौरान उनकी इक्विटी वेल्थ 3,651 करोड़ रुपये से लुढ़कते हुए 970.10 करोड़ रुपये पर आ ठहरी है।