Budget 2019-20 India: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (पांच जुलाई, 2019) को अपना पहला बजट पेश करते हुए कई अहम ऐलान किए। इनमें एक, दो, पांच, 10 और 20 रुपए का नया सिक्का लाने की बात शामिल है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात मार्च 2019 को एक, दो, पांच, 10 और 20 रुपए के नए सिक्कों की सीरीज रिलीज की थी, जिन्हें नेत्रहीन भी आसानी से पहचान सकते हैं। इन सिक्कों को जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा।”
वित्त मंत्री के मुताबिक, डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 78 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2013-14 में जुटाया जाने वाला 6.38 लाख करोड़ रुपए का कर 2018 में बढ़कर 11.37 लाख करोड़ रुपए हो गया। बजट में इसके अलावा पेट्रोल, डीजल पर उपकर में प्रति लीटर एक रुपए की वृद्धि; सोना पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
कैसा है इंडिया का बजट?: “गांव, गरीब और किसान” व हर नागरिक के जीवन को “अधिक सरल” बनाने के मकसद से पेश किए गए मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मीडिया, विमानन, बीमा और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार करने का प्रस्ताव किया गया है। बजट में बुनियादी आर्थिक व सामाजिक ढांच के विस्तार, पेंशन और वीमा योजाओं को आम लोगों की पहुंच के दायरे में ले जाने के विभिन्न प्रस्ताव किए गए हैं।
सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में कहा- हालिया चुनाव में एक आकर्षक और मजबूत भारत की उम्मीदें लहरा रही थीं और लोगों ने एक ऐसी सरकार को चुना जिसने काम कर के दिखाया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने पहले कार्यकाल में ‘न्यू इंडिया’ के लिए काम शुरू कर दिया था। अब इन कार्यों की रफ्तार बढ़ाई जाएगी और आगे चलकर लालफीताशाही को और कम किया जाएगा।
बजट में देश के तीन करोड़ खुदरा कारोबारियों और दुकानदारों को पेंशन सुविधा के तहत लाने की भी घोषणा की गई है। वह आगे बोलीं- डेढ़ करोड़ रुपए से कम के सालाना कारोबार वाले तीन करोड़ खुदरा कारोबारियों और दुकानदारों को प्रधानमंत्री कर्मयोगी मानधन योजना के तहत पेंशन योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।
एक नजर में जानें इंडिया का बजटः
– अमीरों पर टैक्स बढ़ा है
– पेट्रोल-डीजल एक रुपए महंगा हुआ
– सोने व अन्य बेशकीमती धातुओं पर कस्टम ड्यूटी भी बढ़ी
– बैंकों का विलय, अब सिर्फ आठ ही सरकारी बैंक
– 4 साल में 4 लाख करोड़ रुपए की वसूली