Trump tariff impact on Pharma: दुनिया में व्यापार का हाल फिर बदल गया है और भारत की दवा कंपनियां शायद अब मुश्किल में पड़ सकती हैं। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह चौंकाने वाला ऐलान किया कि 1 अगस्त से भारत से आने वाले सामान पर 25% टैक्स (टैरिफ) लगेगा। हालांकि, कई कारोबार पहले से ही दबाव में हैं, लेकिन दवाओं को हमेशा भारत का मजबूत सेक्टर माना जाता था। अब दवा कंपनियां सोच रही हैं कि आगे क्या होगा और वे इसकी तैयारी कर रही हैं।

क्या फार्मा भी निशाने पर?

हालांकि, नए टैरिफ में दवाइयां शामिल नहीं थीं, लेकिन अमेरिकी व्यापार के साथ इस उद्योग के घनिष्ठ संबंध ने इसे अनिश्चितता के घेरे में डाल दिया है। भारत, अमेरिका को जेनेरिक दवाओं के दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, जिसका निर्यात वित्त वर्ष 2024 के 8.1 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 9.8 अरब डॉलर हो गया, जो 21% की ग्रोथ है।

भारत के दवा निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 40% है। यह इसे भारतीय दवा निर्माताओं के लिए सबसे बड़ा विदेशी बाजार बनाता है। लेकिन फिर, यह निर्भरता एक तरह से भेद्यता (Vulnerability) भी पैदा करती है।

अब लोगों को चिंता है कि अगर व्यापारिक तनाव बढ़ता है या रूस के साथ भारत के रक्षा और ऊर्जा संबंधों पर और सख्ती होती है, तो फार्मा क्षेत्र भी अमेरिका के निशाने पर आ सकता है।

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फार्मा शेयरों की कैसी है प्रतिक्रिया

ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के अगले दिन यानी आज शुरुआती कारोबार में निफ्टी फार्मा इंडेक्स (Nifty Pharma Index) लगभग 1% गिर गया और कई शेयर घाटे में रहे। हाल ही में, ज़ाइडस लाइफ 2% से अधिक नीचे है। लिस्ट में शामिल अन्य शेयरों में आईपीसीए लैब्स, ल्यूपिन, ग्रैन्यूल्स, जेबी केमिकल्स, डॉ रेड्डीज सभी गिर गए। अरबिंदो फार्मा 1% ऊपर है, जो इस रुझान के उलट है और मैनकाइंड फार्मा शुरुआती घंटों में मामूली बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था।

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क्या है ब्रोकरेज फर्म नोमुरा की राय?

ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने कहा है कि भारत का फार्मा क्षेत्र अभी भले ही छूट की कैटेगिरी में है, लेकिन फिर भी रिस्की बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस ऐलान के साथ, हमारा अनुमान है कि भारत की प्रभावी टैरिफ दर लगभग 20% होगी, जो अमेरिका द्वारा घोषित 25% से कम है। धारा 232 की जांच के दायरे में आने वाले क्षेत्र (फार्मास्युटिकल्स, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स, आदि) वर्तमान में पारस्परिक टैरिफ से मुक्त हैं।’

हालांकि, उन्होंने एक चेतावनी भी दी “हमने भारत पर लगभग 10% का बेसलाइन पारस्परिक टैरिफ मान लिया था, इसलिए यदि टैरिफ 25% पर बना रहता है, तो इससे अमेरिका को निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, व्यापार के विचलन से होने वाले लाभ समाप्त हो जाएंगे, लाभ मार्जिन प्रभावित होगा और निवेश कम होगा और MSME के लिए नौकरियां कम होंगी, जिससे जीडीपी ग्रोथ प्रभावित होगी।”

ब्रोकरेज ने आगे चेतावनी दी, “अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात डेस्टिनेशन है, जो कुल निर्यात का लगभग 18% और GDP का लगभग 2.2% है… कई क्षेत्रों के लिए, अमेरिका को निर्यात उस प्रोडक्ट कैटेगिरी के भारत के ग्लोबल निर्यात का लगभग 30-40% है, जो अमेरिकी बाजार तक पहुँच के प्रति समग्र निर्यात और औद्योगिक उत्पादन ग्रोथ संवेदनशीलता को चिंहित करता है।”

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