जीएसटी और फेसलेस इनकम टैक्स की व्य़वस्था लागू करने के बाद अब केंद्र की मोदी सरकार कारोबारी जगत के लिए एक और बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। सरकार इंडिया इंक के लिए सिंगल ऑनलाइन अनुपालन ढांचा बनाने की तैयारी कर रही है ताकि एकबार में विभिन्न रेगुलेटरी जरूरतों का पालन हो सके। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया अनुपालन बोझ घटाने के लिए इस पर विचार किया जा रहा है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कॉरपोरेट मामले मंत्रालय ने विभिन्न रेगुलेटर्स जैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड से कॉमन डाटा सोर्स के अनुपालन के लिए सिंगल प्लेटफार्म पर चर्चा शुरू की है।

एक देश, एक टैक्स और इनकम टैक्स के अंतर्गत फेसलेस एसेसमेंट के बाद सरकार का यह कदम देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा, ‘प्रस्तावित सिंगल विंडो प्लेटफार्म का उद्देश्य कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री और अन्य संस्थाओं के डाटाबेस को एकत्रित करना है ताकि फीलिंग में दोहराव को कम किया जा सके।’ यह निश्चित तौर पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगा। वर्तमान में कंपनियों को कई फिलिंग करनी पड़ती हैं। विभिन्न रेगुलेटर्स की अलग जरूरत और डाटा भरने के अलग-अलग फॉर्मेट होते हैं।

एक्सपर्ट मानते हैं कि प्लेटफॉर्म के शुरू होने के बाद कंपनी अपना सारा डाटा एक जगह पर भर सकेंगी और रेगुलेटर्स एक स्त्रोत से डाटा ले सकेंगे। कारोबारी क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक  कुछ रेगुलेटर को अतिरिक्त जानकारियों की जरूरत हो सकती है, जिसके लिए वह अलग से निवेदन कर सकते हैं परंतु इसके निर्माण से 80 से 90 फीसदी जरूरतें पूरी हो जाएंगी। इससे विभिन्न रेगुलेटर्स को बदल कर भेजी गई सूचनाओं का स्कोप भी घटेगा। इनकम टैक्स और कॉरपोरेट अफेयर प्लेटफॉर्म्स सहित अन्य कंपनियों के डाटा एकीकरण के बाद अब एक नई कंपनी को बिना किसी अलग एप्लीकेशन दिए खुद नया परमानेंट अकाउंट नंबर मिल जाएगा।

इसके अलावा कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय अन्य कई प्लेटफार्म को भी एकीकृत करने‌ का इच्छुक है ताकि किसी कंपनी को अलग रेगुलेटर्स और बॉडी के लिए कई बार जानकारियां ना देनी पड़े। MSME के लिए ट्रेड रिसिवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (ट्रीडस) को भी एकीकृत करने की योजना है। प्रस्तावित सिंगल प्लेटफार्म में ऑटो सिस्टम भी हो सकता है जो MCA-21 से जरूरत का डाटा ले लेगा। इसके अलावा मंत्रालय MCA-21 के वर्जन 3 पर भी काम कर रही है ताकि यूजर इंटरफेस को और आसान किया जा सके। यह अगले साल सितंबर से शुरू हो सकता है। इसके अलावा सरकार सभी क्षेत्रों में अनुपालन बोझ को कम करने की कोशिश कर रही है ताकि विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह फेसलेस इनकम टैक्स एसेसमेंट की शुरुआत की थी। इससे पहले जुलाई 2017 में सरकार ने विभिन्न केंद्रीय और राज्य टैक्स को हटाते हुए एक गुड्स एंड सर्विस टैक्स की शुरुआत की थी। ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में रहा है और इस संदर्भ में बहुत से निर्णय लिए जाने की उम्मीद है ताकि भारत वर्ल्ड बैंक की ईज़ ऑफ बिजनेस डूइंग बिजनेस इंडेक्स के शीर्ष 50 देशों में शामिल हो सके। 2019 में भारत 190 देशों की सूची में 14 स्थान की छलांग लगाकर 63 में स्थान पर पहुंच गया था।