सरकार को लोकसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के मामले में राहत मिल सकती है। तृणमूल कांग्रेस ने इस महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार को लेकर अपना समर्थन देने की घोषणा की है हालांकि कांग्रेस, बीजू जनता दल और वामपंथी दल सहित विभिन्न विपक्षी पार्टियां विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की अपनी मांग पर अड़ी हुई हैं।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रियेन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘स्थायी समिति और प्रवर समिति पहले ही इसपर गौर कर चुकी हैं। इसलिये इसे फिर से स्थायी समिति के पास भेजने का कोई मतलब नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने जीएसटी लागू होने पर राज्यों को क्षतिपूर्ति का वादा किया है।
जीएसटी के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के सरकार को समर्थन देने के बारे में स्पष्ट करते हुये उन्होंने कहा, ‘‘हमारे 2009, 2011, 2014 के घोषणा पत्र में हमने जीएसटी को समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताई है। शराब, तंबाकू, पेट्रोलियम के मामले में पश्चिम बंगाल ज्यादा खपत वाला राज्य है।’’
इससे पहले 26 अप्रैल को जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में जीएसटी विधेयक को पेश किया था तब सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सदस्यों के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस, वाम दलों और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया था।
इन दलों ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की थी जिसे सरकार ने अनसुना कर दिया। उस समय तृणमूल कांग्रेस का विरोध कुछ तकनीकी बातों को लेकर था, उसका विरोध विधेयक की सामग्री को लेकर नहीं था।
अन्नाद्रमुक और बीजू जनता दल ने भी विधेयक का विरोध किया लेकिन उन्होंने वॉकआउट नहीं किया। कांग्रेस इस मुद्दे पर इन दोनों दलों को भी अपने साथ लेना चाहती है।