India’s Richest Village: भारत में लगातार अरबपतियों की संख्या में इजाफा हो रहा है और देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में नंबर 5 पर पहुंच चुकी है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एशिया का सबसे धनी गांव भी है। जी हां, गुजरात के पश्चिमी इलाके के इस गांव को ना केवल इसकी मौजूदगी बल्कि इसकी अकूत धन-दौलत के लिए भी जाना जाता है। गुजरात के कच्छ जिले का माधापार गांव एशिया और भारत का सबसे पैसे वाला गांव है और यहां रहने वाले लोगों के पास अकूत संपत्ति है। चलिए आपको बताते हैं भारत के सबसे रईस गांव के बारे में…
क्यों खास है माधापार?
गुजरात के कच्छ जिले का गांव माधापार के पास बड़ा शहर पोरबंदर है जो करीब यहां से 200 किलोमीटर दूर है। पोरबंदर को महात्मा गांधी के जन्मस्थान के तौर पर जाना जाता है। इस गांव में करीब 32,000 लोग रहते हैं और सबसे ज्यादा पटेल समुदाय के लोग हैं। इस गांव की समृद्धि और विकास में इस समुदाय का विशेष योगदान है। माधापार के इन्फ्रास्ट्रक्चर में गांव की खुशहाली और दौलत की झलक मिलती है। शानदार सड़कें, बढ़िया वाटर सप्लाई, बेहतर सैनिटेशन सिसस्टम और स्कूल, हेल्थकेयर जैसी सभी जरूरी सुविधाएं इस गांव में मौजूद हैं। गांव में कई बड़े और खूबसूरत मंदिर भी हैं।
माधापार का जबरदस्त फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर
माधापार को जो चीज दूसरे गांव से अलग बनाती हैं, वो है यहां का बेहतरीन बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर। इस गांव में कुल 17 बैंक हैं जिनमें कई बड़े नाम जैसे HDFC Bank, Union Bank, ICICI Bank, State Bank of India, Punjab National Bank और Axis Bank शामिल हैं। सबसे खास बात है कि यहां के बैंकों में करीब 7000 करोड़ रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर जमा हैं। इतनी बड़ी रकम की एफडी ना केवल गांव की शानदार वित्तीय स्थिति को दिखाता है बल्कि यहां होने वाली इकोनॉमिक एक्टिविटीज भी इसीके इर्द-गिर्ग घूमती हैं।
क्या है एशिया के सबसे पैसे वाले गांव की अकूत दौलत का राज?
माधापार की दौलत का सबसे बड़ा सोर्स वहां के लोगों का नॉन-रेजिडेंट इंडियंस (NRI) यानी विदेशों में रहने वाले भारतीयों से गांव का कनेक्शन है। जी हां, माधापार गांव के करीब 1200 परिवार अब विदेश में रहते हैं। इनमें से अधिकतर अफ्रीकी देशों में हैं। विदेश में रहने के बावजूद, इन परिवारों ने गांव से अपना मजबूत रिश्ता बरकरार रखा है। विदेश में रहने वाले इन लोगों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा माधापार के लोकल बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा होता है और अकसर ही यह पैसा विदेशी करेंसी से कनवर्ट होता है। इस पूरी प्रक्रिया के चलते ही गांव के बैंकों में अब फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर एक बड़ी रकम जमा हो चुकी है और इसी वजह से इस गांव के पास पैसे की कमी नहीं है और यह ना केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे धनी गांव बन चुका है।
सबसे धनी गांव की इनकम का मुख्य सोर्स है खेती
NRI से आने वाली वित्तीय योगदान के अलावा, माधापार की अर्थव्यवस्था में खेती की भी बड़ी भूमिका है। इस गांव को आम, गन्ने और कॉर्न समेत कई दूसरी महत्वपूर्ण चीजों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। इन प्रोडक्ट्स की खपत ना केवल स्थानीय स्तर पर होती है बल्कि देशभर में इन्हें एक्सपोर्ट किया जाता है। गांव की इकोनॉमी में स्थिरिता बनाए रखने और बढ़ावा देने में इसकी अहम भूमिका है।
माधापार विलेज एसोसिएशन: Madhapar Village Association
माधापुर गांव के लोग अपने गांव को Madhapar Village Association के जरिए मैनेज करते हैं। इस एसोसिएशन को साल 1968 में लंदन में बनाया गया था। इस एसोसिएशन को खासतौर पर गांव और विदेशों में रहने वाले लोगों के बीच मजबूत कनेक्शन बनाने और मेंटेन रखने के इरादे से बनाया गया था। यह एसोसिएशन एक ब्रिज के तौर पर काम करता है और यह सुनिश्चित करता है कि गांव और इसकी ग्लोबल कम्युमिटी के बीच संबंध कायम रहे और यह समुदाय आपसी फायदों के साथ तरक्की करता रहे।
एशिया के सबसे धनी गांव होने का खिताब इस कम्युनिटी की सफलता और दृढ़ता को दिखाता है। रणनीतिक वित्तीय प्रैक्टिसेज, प्रगाढ़ NRI कनेक्शन और दमदार एग्रीकल्चर एक्टिविटीज ने माधापार की अकूत दौलत और समृद्धि में बड़ा योगदान दिया है।