अमेरिका ने भारत पर कल यानी 27 अगस्त 2025 से 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लागू कर दिया है। 50% टैरिफ भारत पर लागू होने के अगले ही दिन, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार (ट्रेड एडवाइजर) पीटर नवारो ने कहा कि भारत को 25% टैरिफ में छूट मिल सकती है, लेकिन केवल एक शर्त पर।

ब्लूमबर्ग टेलीविजन के Balance of Power कार्यक्रम में इंटरव्यू के दौरान जब नवारो से पूछा गया कि क्या अमेरिका वास्तव में भारत से बातचीत कर रहा है और क्या अतिरिक्त 25% टैरिफ घटाने की कोई संभावना है? तो नवारो ने कहा- “यह बहुत आसान है। भारत को कल ही 25% की छूट मिल सकती है अगर वह रूसी तेल खरीदना बंद कर दे और वॉर मशीन को हराने में मदद करे।”

इसके बाद जब इंटरव्यूअर ने पूछा कि क्या भारत, अमेरिका को यह संकेत दे रहा है कि वह इस शर्त का पालन करेगा तो नवारो ने कहा- “नहीं, वे ऐसा नहीं कर रहे।”

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उन्होंने कहा कि वह हैरान हैं क्योंकि भारत एक ‘परिपक्व लोकतंत्र (mature democracy)’ है और प्रधानमंत्री मोदी जैसे ‘महान नेता (great leader)’ इसका नेतृत्व कर रहे हैं। वह लगातार इस बात से इंकार करता रहा है कि वह दुनिया में सबसे ऊँचे टैरिफ लगाता है, जबकि आंकड़े कुछ और बताते हैं।

उन्होंने आगे बताया कि भारत ने यह भी साफ कर दिया है कि वह रूसी तेल खरीदना बंद नहीं करेगा, जबकि इस मुद्दे पर कई बार बातचीत हो चुकी है।

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नवारो ने कहा, “भारत एक परिपक्व लोकतंत्र है जहां बुद्धिमान लोग इसे चला रहे हैं, लेकिन जब टैरिफ की बात आती है तो वे हमारी आंखों में आंख डालकर साफ कहते हैं कि हमारे पास दुनिया में सबसे ऊंचे टैरिफ नहीं हैं, जबकि हकीकत यह है कि ऐसा है। इस पर कोई विवाद ही नहीं है।”

‘वॉर मशीन की फंडिंग के लिए हो रहा भारत के पैसे का इस्तेमाल’

नवारो ने आगे कहा कि भारत सस्ते दाम पर रूस से कच्चा तेल खरीदता है और भारत में रूसी कंपनियों के साथ साझेदारी में इसे रिफाइन करता है और फिर इसे दुनिया के बाकी देशों में ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। इस पैसे से रूस को यूक्रेन में युद्ध की फंडिंग करने में मदद मिलती है। उन्होंन कहा कि इसका परिणाम यह है कि और ज्यादा यूक्रेनियन मारे जा रहे हैं और यूक्रेन व यूरोप दोनों ही वित्तीय मदद के लिए अमेरिका की तरफ देख रहे हैं। नवारो का कहना है, ‘इसका मतलब यह है कि भारत जो कर रहा है, उसकी वजह से हर किसी को नुकसान हो रहा है।’

‘यह मोदी की जंग है’

नवारो के मुताबिक, भारत की नीतियों से हर किसी को नुकसान पहुंचता है, उपभोक्ताओं से लेकर कारोबारियों और मजदूरों तक, क्योंकि ऊंचे टैरिफ के कारण नौकरियां जाती हैं, फैक्ट्रियों की संख्या कम होती है और मजदूरी भी कम हो जाती है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी टैक्सपेयर्स को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है क्योंकि अमेरिका को ‘मोदी की जंग के लिए फंड देना पड़ रहा है।’

नवारो ने आगे कहा, “शांति का रास्ता सीधे नई दिल्ली से होकर गुजरता है। यह मोदी की जंग है। क्योंकि इसमें बहुत पैसा खर्च हो रहा है।”

नवारो से पूछा गया कि क्या अमेरिका, भारत पर अधिक ध्यान केंद्रित करके चीन पर अपना दबदबा खोने का जोखिम उठा रहा है।

उन्होंने तीखे अंदाज में जवाब दिया कि असली मुद्दा रूसी तेल है। नवारो ने कहा, “हकीकत यह है कि आपको, भारत और चीन को रूसी तेल खरीदने से रोकना होगा। अगर आप यह कल ही कर दें तो जंग खत्म हो जाएगी। अगर हर कोई, यूरोप समेत, रूसी तेल खरीदना बंद कर दे, तो यह सिर्फ वक्त की बात होगी जब पुतिन के पास युद्ध को फंड करने के लिए पैसे नहीं बचेंगे।”

व्हाइट हाउस के सलाहकार ने आगे कहा, “मोदी इसमें बड़ा हिस्सा हैं। यह रोज़ाना डेढ़ मिलियन बैरल तेल की बात है। उससे बहुत सारे ड्रोन और बम खरीदे जा सकते हैं जिनसे यूक्रेनियनों की हत्या की जाती है।”

‘टैरिफ और रूसी तेल को लेकर भारतीय बेहद अहंकारी’

नवारो ने तर्क दिया कि भारत ने वैश्विक चिंताओं को लगातार नजरअंदाज किया है। उनके अनुसार, भारत यह मानने से इंकार करता है कि उसके पास दुनिया के सबसे ऊंचे टैरिफ हैं जबकि आंकड़े इसके उलट हैं। इसी के साथ भारत यह कहते हुए रूसी तेल खरीदना जारी रखता है कि यह उसका संप्रभु अधिकार है। नवारो ने इस रवैये को परेशान करने वाला बताया और कहा, “भारतीय इस मुद्दे पर इतने अहंकारी हैं कि वे कहते हैं- हमारे पास ऊंचे टैरिफ नहीं हैं और यह हमारी संप्रभुता है, हम किसी से भी तेल खरीद सकते हैं।”

उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि युद्ध में भारत की स्थिति बेहद अहम है। नवारो बोले, “भारत, आप दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं, तो एक लोकतंत्र की तरह व्यवहार कीजिए। लोकतंत्रों का साथ दीजिए। आप अधिनायकवादी ताक़तों के साथ खड़े हो रहे हैं। चीन- जिसके साथ आप दशकों से मौन युद्ध में हैं, आपका दोस्त नहीं है और रूस भी नहीं।”

नवारो के अनुसार, शांति भारत के चुनाव पर निर्भर करती है और उन्होंने जोर देकर कहा कि नई दिल्ली को अपनी दिशा बदलनी ही होगी।