सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक (Facebook) पिछले कुछ समय से लगातार विवादों में घिरती रही है। मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) की कंपनी अब नाम बदलने को लेकर भी विवादों में फंसती नजर आ रही है। इस मामले में फेसबुक को कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। शिकागो स्थित टेक फर्म मेटा कंपनी (Meta Company) ने फेसबुक के ऊपर ट्रेडमार्क से छेड़छाड़ (Trademark Infringement) का आरोप लगाया है।
Facebook पर मेटा नाम चुराने का आरोप
मेटा कंपनी के फाउंडर नेट स्कुलिक (Nate Skulic) ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है। स्कुलिक का आरोप है कि जुकरबर्ग की कंपनी दो-तीन महीने से मेटा कंपनी को खरीदने का प्रयास कर रही थी। जब इसमें सफलता नहीं मिल पाई तो फेसबुक जबरदस्ती पर उतर आई है। फेसबुक ने ‘मेटा’ नाम से खुद को रीब्रांड कर ‘मेटा कंपनी’ का नाम चुराया है। इससे मेटा कंपनी और इससे जुड़े लोगों की आजीविका पर भी असर पड़ा है।
मेटा नाम बेचने के लिए डाला जा रहा था दबाव
स्कुलिक ने सार्वजनिक पत्र के माध्यम से आरोप लगाया कि पिछले तीन महीनों के दौरान फेसबुक के वकील उन्हें मेटा नाम बेचने के लिए डरा रहे थे। बकौल स्कुलिक, फेसबुक काफी छोटा ऑफर कर रही थी, जो नाम बदलने के कॉस्ट से कम था। इसके अलावा लीगल कंपनियां और वकील यह भी नहीं बता रहे थे कि वे किसके लिए काम कर रहे हैं। डील के क्लाइंट के अलावा इंटेंट की जानकारी भी नहीं दी जा रही थी।
दो लीगल कंपनियों ने मेटा कंपनी से किया था संपर्क
मेटा कंपनी के फाउंडर का कहना है कि कम से कम दो लीगल कंपनियों ने उनसे इस बारे में संपर्क किया। इनमें एक कंपनी ने अमेरिका में, जबकि दूसरी ने यूरोप में संपर्क किया। अमेरिकी लीगल कंपनी ट्रेडमार्क और डोमेन की डिमांड कर रही थी, जबकि यूरोपीय कंपनी डोमेन रजिस्ट्रेशन बेचने का दबाव डाल रही थी। डील से इनकार करने के बाद फेसबुक ने जबरन खुद को रीब्रांड कर लिया है।
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विश्लेषकों की राय- बैड पीआर से बचने का प्रयास
फेसबुक 17 साल के अपने इतिहास में पहली बार खुद को रीब्रांड कर रही है। इसे फेसबुक की पिछले कुछ समय में हुई बदनामी को किनारे करने का प्रयास माना जा रहा है। हालांकि जुकरबर्ग ने इन कयासों से इनकार किया है। उनका कहना है कि अब फेसबुक का दायरा बढ़ गया है और कई नए प्रॉडक्ट उसके पोर्टफोलियो में जुड़ गए हैं। पुराने नाम से सिर्फ एक प्रॉडक्ट की पहचान होती थी। इस कारण नया नाम जरूरी हो गया था।