भारतीय वाहन उद्योग में अलग-अलग कर ढांचों को युक्तिसंगत बनाये जाने की मांग करते हुए जापान की प्रमुख वाहन कंपनी होंडा ने कहा है कि इस ‘अनूठी’ प्रणाली के चलते छोटी कारों के लिये मांग एकतरफा है और ये सबसे अधिक बिकने वाले वैश्विक मॉडलों को देश में पेश करने में बाधा डाल रहा है। कंपनी की भारतीय इकाई होंडा कार्स इंडिया लि. (एचसीआईएल) ने जीएसटी दर तथा इसके क्रियान्वयन के समय को लेकर जारी अस्पष्टता पर चिंता जतायी और कहा कि इस प्रकार की अनिश्चितताओं से उसके लिये पहले से उत्पादन की योजना बनाना मुश्किल है।

एचसीआईएल के अध्यक्ष तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी योचिरो यूनो ने कहा, ‘‘भारत में काफी कारें बेची जा रही हैं लेकिन यहां विविधता नहीं है। जो कार मॉडल बेचे जा रहे हैं, वह काफी सीमित हैं। इसका कारण अनठा कर ढांचा हो सकता है, हो सकता है, सरकार की नीति छोटी कारों को बढ़ावा देने की हो।’

उन्होंने कहा कि अन्य बड़े बाजारों की तुलना में भारतीय वाहन उद्योग में कर विभेद काफी अधिक है। इसके परिणामस्वरूप ग्राहकों को सीमित माडल की पेशकश की जा रही है। प्रतिस्पर्धी कीमत दबाव के कारण वैश्विक स्तर पर सफल मॉडलों को यहां पेश करना व्यावहारिक नहीं है।
यूनो ने कहा, ‘‘इस अनूठे प्रतिबंध के कारण यह मुश्किल है। अगर सरकार अलग-अलग करों को युक्तिसंगत बनाये तो वाहन विनिर्माता विभिन्न माडल ला सकते हैं जिससे ग्राहकों को लाभ होगा।’

होंडा का उदाहरण देते हुए योचिरो यूनो ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कंपनी की सबसे अधिक बिकने वाली कारें जाजÞ, एकार्ड, सिविक तथा सीआरवी है लेकिन कंपनी केवल जाज और सीआरवी ही भारत में बेच रही है। उन्होंने कहा, ‘‘सीआरवी में भी हम केवल कम संख्या में कार बेच रहे हैं।’’
वाहन उद्योग में उत्पाद शुल्क के चार अलग-अलग स्लैब हंै जो इंजन क्षमता और उसकी लंबाई-चौड़ाई पर आधारित हैं। लंबाई में चार मीटर से छोटी कारों पर उत्पाद शुल्क 12.5 प्रतिशत है। वहीं चार मीटर से अधिक लेकिन 1,500 सीसी क्षमता के इंजन वाली कार पर शुल्क 24 प्रतिशत लगता है।
अगर इंजन की क्षमता 1,500 सीसी से अधिक है, उस पर 27 प्रतिशत जबकि 170 एमएम से अधिक पर 30 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगता है।
यूनो ने कहा कि ग्राहकों की सुरक्षा और आरामदायक होने के नजरिये कार का टक्कर परीक्षण अगले साल से अनिवार्य होने जा रहा है, ऐसे में चार मीटर लंबाई से छोटी कारों को दिए जा रहे उत्पाद शुल्क लाभ पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।