टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा को नए प्रयोगों के लिए जाना जाता रहा है। भले ही उनका लखटकिया कार का नैनो वाला आइडिया बहुत सफल नहीं था, लेकिन उन्होंने ही देश को पहली स्वदेशी कार देने का काम किया था। दरअसल देश की पहली पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित कार टाटा मोटर्स की इंडिका है। Tata Indica को 1999 में कंपनी ने मार्केट में उतारा था। 1998 के जेनेवा मोटर शो में इसे उतारा गया था और कुछ दिन बाद इंडियन ऑटो एक्सपो में भी इसकी लॉन्चिंग की गई। दिलचस्प बात यह है कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने खुद ड्राइविंग करके भारत की पहली स्वदेशी कार टाटा इंडिका की लॉन्चिंग की थी। टाटा इंडिका को हमेशा पर्सनल कार स्पेस में भारत के एंट्री के तौर पर जाना जाएगा।
रतन टाटा हमेशा प्रयोगधर्मी रहे और उन्होंने देश में आम आदमी तक कार पहुंचाने के सपने को साकार करने की कोशिश करते हुए नैनो लॉन्च की थी। लखटकिया कार के नाम से मशहूर हुई नैनो बहुत ज्यादा चल नहीं सकी, लेकिन रतन टाटा की यह बड़ी कोशिश की थी। टाटा मोटर्स ने नैनो को जनवरी 2008 में ऑटो एक्सपो के दौरान बाजार में उतारा था। इसकी लॉन्चिंग के दौरान तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी भी रतन टाटा के साथ मौजूद थे। नैनो को लांच करते हुए टाटा ग्रुप के चैयरमेन रतन टाटा ने नैनो को ‘लोगों की कार’ कहा था।
मोटरसाइकिल पर भीगते लोगों को देख बनाई थी नैनो: इसकी शुरुआती कीमत एक लाख रुपए के करीब थी। रतन टाटा बताते हैं कि उन्हें नैनो बनाने का आइडिया उस समय आयास जब उन्होंने 4 लोगों को भारी बारिश में मोटरसाइकिल पर जाते हुए देखा। टाटा की मानें तो लोगों को कम रूपयों में बेहतर विकल्प देने के लिए उन्होंने नैनो बनाई थी।
कंपनी के MD पर रखा टाटा सूमो का नाम: यही नहीं टाटा मोटर्स की ही बेहद लोकप्रिय कार रही टाटा सूमो को लेकर भी एक दिलचस्प किस्सा है। दरअसल लोग सोचते हैं कि इसका नाम इसकी ताकत और साइज के चलते रखा गया था, लेकिन ऐसा नहीं है। असल में टाटा मोटर्स के एमडी रहे सुमंत मूलगांवकर की याद में रतन टाटा ने कार का नाम टाटा सूमो रखने का फैसला लिया था। टाटा ग्रुप का कारों से रिश्ता बेहद पुराना है। यहां तक कि देश में कार रखने वाले पहले शख्स भी टाटा समूह के फाउंडर रहे जमेशदजी टाटा ही थे।