उच्चतम न्यायालय ने अखिल भारतीय प्री मेडिकल टेस्ट-2015 को फिर से आयोजित करने के लिए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को आज और समय दिया और साथ ही निर्देश दिया कि इसके परिणाम 17 अगस्त तक घोषित किये जायें। इससे पहले, बोर्ड ने न्यायालय से कहा था कि चार सप्ताह के भीतर फिर से परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है।

शीर्ष अदालत ने नये सिरे से अखिल भारतीय प्री मेडिकल टेस्ट कराने के लिये समय अवधि बढाने की केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की याचिका पर यह आदेश दिया।

न्यायालय ने एआईपीएमटी-2015 में बड़े पैमाने पर अनियमिततायें होने के आधार पर यह परीक्षा 15 जून को निरस्त करते हुये सीबीएसई को चार सप्ताह के भीतर फिर से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया था।

न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ के समक्ष अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि फिर से परीक्षा आयोजित करने के लिये चार सप्ताह का समय पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि यह परीक्षा करीब एक हजार केन्द्रों पर आयोजित की जायेगी और चूंकि इस समय ग्रीष्मावकाश है, इसलिए शिक्षकों की भी कमी है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में बोर्ड को भी प्रश्न पत्रों को तैयार करने के लिये समय चाहिए।

रोहतगी ने कहा कि सामान्यतया बोर्ड को परीक्षा आयोजित करने के लिये करीब सात महीने के समय की जरूरत होती है परंतु ‘‘हम परिस्थितियों से समझौता करते हुये सिर्फ तीन महीने का वक्त चाहते हैं।’’

हालांकि न्यायालय ने कहा, ‘‘पहले भी सब कुछ एक महीने में ही किया गया था। हम प्रौद्योगिकी के दौर में जी रहे हैं और अब सब कुछ संभव है।’’

सुनवाई के दौरान भारतीय चिकित्सा परिषद, जो काउन्सिलिंग करती है, की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बोर्ड से समय की अवधि में कुछ कटौती करने का आग्रह करते हुये कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर ही परीक्षा करायी जाये।

मेहता ने कहा, ‘‘हम विरोधात्मक मुकदमे में नहीं हैं। हम तो सिर्फ छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। यदि समय सीमा का पालन नहीं किया गया तो राज्य के कोटे की सीटें भर जायेंगी। ऐसी स्थिति में एक ही पाठ्यक्रम के लिये दो समानांतर बैच हो जायेंगे जो पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में प्रवेश के भविष्य को प्रभावित करेगा और इससे अंतत: छात्र ही प्रभावित होंगे।’’

इस पर न्यायालय ने कहा, ‘‘एकसाथ कोई रास्ता निकाला जाये क्योंकि आप दोनों एक ही नाव के सवार है। हमारी परेशानी वास्तविक है और हम इस विवाद से पल्ला नहीं झाड़ सकते।’’

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कल न्यायालय से कहा था कि उसके लिये 15 जून के आदेश के अनुरूप चार सप्ताह के भीतर फिर से परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है।

बोर्ड ने इससे पहले, परीक्षा रद्द करने के अनुरोध का विरोध करते हुये कहा था कि इसमें 6.3 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया था और सिर्फ 44 छात्र ही अनुचित तरीके अपनाने से लाभान्वित हुये थे। बोर्ड को पांच जून को इस परीक्षा के नतीजे घोषित करने थे लेकिन शीर्ष अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी।

शीर्ष अदालत ने इस परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियिमततायें होने के तथ्य के मद्देनजर बोर्ड को फिर से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया था।