रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिककेशन (आरकॉम) की संपत्तियों को खरीदना चाहते हैं। इस बीच ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज ने भी आरकॉम को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। ट्विन स्टार अनिल अग्रवाल के स्टारलाइट समूह की कंपनी है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार आरकॉम के लिए टीपीजी एशिया, असेट्स केयर एंड रीकंस्ट्रक्शन, एटीसी टेलीकॉम, इंडिया ऑपर्च्यूनिटीज इन्वेस्टमेंट्स सिंगापुर, यूवी असेट्स रीकंस्ट्रक्शन कंपनी, जेसी फ्लावर्स एआरसी और वार्डे पार्टनर्स ने भी एक्सप्रेसन ऑफ इंटरेस्ट जमा कराए हैं।
कर्ज नहीं चुकाने के मामले में आरकॉम नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में फिलहाल दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। दोनों अरबपति उद्योगपति आरकॉम की इन संपत्तियों के लिए भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूरसंचार कंपनियों से मुकाबला करेंगे।
आरकॉम की संपत्तियों के लिए दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियां ही शामिल नहीं है बल्कि दूरसंचार टावर कंपनी, असेट्स रीकंस्ट्रक्शन कंपनी और निजी इक्विटी फंड ने भी बोली लगाई है। वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के आरकॉम की दौड़ में शामिल होने मामला रोचक हो गया है। वेदांता समूह खनन, धातु एवं दूरसंचार केबल क्षेत्र में कारोबार करती है।
आरकॉम 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से खुद दिवालिया प्रक्रिया के लिए ट्रिब्यूनल में गई है। लोन और ऑपरेटिंग लोन देने वालों ने इस साल 13 जून को कंपनी पर 57,382 करोड़ रुपये का दावा किया था। इनमें से करीब 49,233 करोड़ रुपये के दावे को स्वीकार किया गया है।
आरकॉम की संपत्तियों के अधिग्रहण की दौड़ में जियो के शामिल होने की उम्मीद पहले से ही थी क्योंकि जियो ने 18,000 करोड़ रुपये में आरकॉम को खरीदने की पेशकश की थी। लेकिन नियामकीय मंजूरियों के अभाव में सौदे पर बात नहीं बन पाई। भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया भी आरकॉम की संपत्तियों को खरीदने के लिए इच्छुक है।
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कंपनी के पास 122.4 मेगाहर्ट्ज के 4जी स्पेक्ट्रम और 43,000 से अधिक टावर, 178,000 रूट किलोमीटर का फाइबर नेटवर्क है। इस बुनियादी ढांचे से जियो या अन्य दूरसंचार फर्मों को व्यापक स्तर पर वायरलेस और फाइबर टू होम सर्विस स्टार्ट करने में मदद मिल सकती है।
