Buying vs Renting House : मौजूदा समय में प्रॉपर्टी की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। कोविड 19 के बाद अब रीयल एस्टेट मार्केट में लगातार ग्रोथ देखने को मिल रही है। बीते 8 से 10 महीने में घरों की कीमत 15 से 20 फीसदी या इससे भी ज्यादा बढ़ गई है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि कॉमन मैन को एनसीआर या इस तरह के बड़े शहरों में फ्लैट खरीदने के लिए बैंक से मोटा कर्ज (Home Loan) लेना पड़ रहा है। दूसरी ओर बैंक भी होम लोन पर 8.75 फीसदी से 9.25 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज ले रहे हैं। यानी एक तो घर महंगा, वहीं इसके लिए लोन भी महंगा। ऐसे में यह चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है कि अभी अपना घर खरीदने में समझदारी है या किराए पर घर लेकर रह लेना फायदेमंद है। वैसे दोनों के ही अपने फायदे और नुकसान हैं।
लोन लेने पर कितनी पड़ती है असल कीमत
लोन पर घर खरीदते हैं तो एक तरह से आपको ब्याज और मूलधन मिलाकर असल कीमत का करीब डबल चुकाना पड़ता है। मान लिया कि आपको घर खरीदने के लिए बैंक से 40 लाख रुपये कर्ज लेने की जरूरत है। यह कर्ज आप 20 साल के लिए ले रहे हैं। अभी की बात करें तो एसबीआई द्वारा होमलोन पर लिए जाने वाला ब्याज 9 फीसदी के आस पास है। इस लिहाज से आप 40 लाख के बदले बैंक को कुल पेमेंट 86,37,369 रुपये करते हैं, जिसमें 46,37,369 रुपये ब्याज है।
होम लोन अमाउंट: 40 लाख रुपये
इंटरेस्ट रेट: 9.00%
लोन की अवधि: 20 साल
EMI: 35,989 रुपये
कुल ब्याज: 46,37,369 रुपये
लोन के बदले बैंक को कुल पेमेंट: 86,37,369 रुपये
(SBI Interest Rates)
रेंट पर रहने के क्या हैं फायदे
डाउन पेमेंट का झंझट नहीं : 60 से 70 लाख रुपये का घर खरीदने के लिए आपको पहले 15 लाख से 20 लाख रुपये डाउन पेमेंट करना पड़ता है, जिसके बाद लोन की प्रक्रिया शुरू होती है। दूसरी ओर अगर आप रेंट पर रहने जा रहे हैं तो ज्यादा से ज्यादा आपको 2 महीने का रेंट एडवांस में जमा करना होता है। बचे पैसे किसी बेहतर और सुरक्षित स्कीम में लगा दें तो वह तेजी से बढ़ता रहता है।
ईएमआई की तुलना में आधा रेंट : मेट्रो शहरों की बात करें तो औसतन एक छोटी फैमिली के लिए 2 बीएचके या 3 बीएचके घर 20 हजार रुपये महीने या इससे कुछ ज्यादा व कम के रेंट पर ले सकते हैं। लेकिन अच्छे खासे डाउन पेमेंट के बाद आपकी होमलोन पर ईएमआई 35 हजार से 40 हजार रुपये के करीब होगी।
सुविधा के हिसाब से लोकेशन : कई बार बच्चे के स्कूल, खुद या स्पाउस के ऑफिस, ट्रांसपोर्टेशन की लागत को देखते हुए यह तय कर सकते हैं कि किस एरिया में आपको रहना है। अगर रेंट पर हैं और ऐसी जरूरत महसूस हो तो लोकेशन बदलना आसान हो जाता है।
नौकरी बदलना आसान : अगर आपको अपनी जॉब के लिए शहरों या देशों को शिफ्ट करने की जरूरत है तो आपको घर के रखरखाव या किराए पर लेने के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।
HRA का लाभ : घर के लिए रेंट के बदले आप इनकम टैक्स में एचआरए का लाभ ले सकते हैं। वहीं रेंट पर रहने से आप प्रॉपर्टी टैक्स, मेंटिनेंस, रेनोवेशन या पार्किंग कास्ट जैसे अन्य खर्च से अमूमन बच ही जाते हैं।
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खुद का घर होने के भी हैं फायदे
परमानेंट एसेट : अगर आप अपना घर खरीदते हें तो एक तरह से यह आपके लिए स्थाई संपत्ति हो जाती है। वहीं भविष्य में प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ती रहती हैं। अपना घर होने से शांति और मानसिक स्थिरता मिलती है। इसे अपनी इच्छा के अनुसार रख रखाव की स्वतंत्रता मिलती है।
टैक्स का लाभ : आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24 के तहत खुद के घर के लिए इंटरेसट पेमेंट पर 2 लाख रुपये तक और प्रिंसिपल अमाउंट पर सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स कटौती का लाभ ले सकते हैं।
घर बदलने का टेंशन नहीं : अगर मकान मालिक चाहता है कि आप घर खाली कर दें तो आपको लगातार घर बदलने की चिंता नहीं करनी होगी।
होम इक्विटी : होम इक्विटी यानी आपने जिस दाम पर घर खरीदा है उसके अलावा होम लोन पर ब्याज और बाकी अन्य चीजों में आपने कितने रुपये खर्चे हैं। जब आप घर बेचते हैं तब ये रकम आपके घर की ओरिजनल वैल्यू में ऐड हो जाती है।
साल दर साल कीमत में इजाफा : आप लंबे समय तक एक ही जगह पर रह रहे हैं तो घर खरीदने का ऑप्शन ज्यादा बेहतर होगा। अगर एरिया में आसपास डेवलपमेंट हो रहे हैं तो आने वाले सालों में आपकी प्रॉपर्टी के दाम कई गुना बढ़ सकते हैं।