अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ के झटके से रुपया दबाव में आ गया है और अब रिकॉर्ड निचले स्तर पर है- डॉलर के मुकाबले 88 से नीचे गिर चुका है। इसमें आरबीआई भी अधिक दखल देता नहीं दिख रहा, इसलिए रुपया इसी स्तर पर अटका रह सकता है। हमारी सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना है कि गहरी ग्लोबल अनिश्चितता के बीच RBI अपने विदेशी भंडार (reserves) का इस्तेमाल करने में हिचकिचा रहा है।
रुपया पिछले हफ्ते पहली बार 88 का स्तर पार कर गया था। इसकी बड़ी वजह अमेरिका की सख्य व्यापार नीतियों का डर और विदेशी निवेशकों का पैसा बाहर निकालना रहा। 27 अगस्त को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय एक्सपोर्ट्स पर 50% टैरिफ लगा दिया।
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हमारी सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक विदेशी मुद्रा बाजार के विशेषज्ञ ने कहा, “रुपये में थोड़ी गिरावट से निर्यातकों को फायदा होता है, इसलिए इसे टैरिफ के असर को कम करने के लिए सहन किया जा सकता है।”
कमजोर रुपया निर्यातकों को फायदा पहुंचाता है क्योंकि उनके माल विदेशों में सस्ते हो जाते हैं और ज्यादा बिकते हैं। रुपये में गिरावट से टैरिफ का असर थोड़ा कम हो सकता है। भारत के पास अभी 690 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार है, जिससे RBI चाहें तो रुपये को धीरे-धीरे गिरने दे सकता है।
29 अगस्त को रुपया कारोबार के दौरान 88.31 तक गिरा और आखिर में 88.20 पर बंद हुआ। 1 सितंबर को यह 88.33 के सबसे निचले स्तर तक पहुंचा और फिर 88.20 पर बंद हुआ। मंगलवार को यह 87.84 तक गया और आखिर में 88.16 पर बंद हुआ।
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले 3 दिनों से रुपये में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं दिखा, जिससे लगता है कि RBI बाजार में बहुत कम दखल दे रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक की कड़ी निगरानी
विदेशी मुद्रा बाजार के प्रतिभागियों का मानना है कि आरबीआई लगातार रुपये की स्थिति पर नजर रख रहा है ताकि रुपये में किसी भी तरह की तेज या अनियमित गिरावट को उसके सहज स्तर से बाहर न जाने दिया जा सके।
कमजोर बना रहेगा रुपया
हमारी सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार सहभागियों का अनुमान है कि रुपया दबाव में रहेगा और अल्पावधि में 87.50 से 88.50 के दायरे में कारोबार करेगा। अगर रुपया 88.50 के स्तर को तोड़ता है, तो यह जल्द ही 89.90 या 90 के स्तर तक गिर सकता है।