भारतीय स्टेट बैंक ने कहा है कि बैंकों द्वारा आधार दर में और कटौती तभी संभव है जब कर्ज के उठाव में जोरदार तेजी आयेगी और बैंक को ऐसी तेजी चौथी तिमाही में आने की उम्मीद है।

एसबीआई की चेयरपर्सन अरंधति भट्टाचार्य ने कल यहां कहा कि यद्यपि वाणिज्यिक परिपत्रों में दरें कम हैं, लेकिन इनके अनुरूप बैंकों की दरें तभी हो सकती हैं जब रिण का उठाव बेहतर होगा।

स्टेट बैंक की 60वीं सालाना आम बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए भट्टाचार्य ने कहा, ‘यदि हम वाणिज्यिक पत्र बाजार के मोर्चे पर प्रतिस्पर्धा करने जा रहे हैं तो हमें आधार दर एक प्रतिशत से अधिक कम करनी होंगी जो कि ऋण उठाव की मौजूदा गति को देखते हुए संभव नहीं दिखता।’ भट्टाचार्या ने कहा, ‘मुझे चौथी तिमाही से ऋण उठाव में सुधार की उम्मीद दिखाई देती है।’

वर्तमान में कंपनियों वाणिज्यिक प्रपत्रों के जरिये धन जुटाने की और ज्यादा आकषिर्त हैं। क्योंकि इनमें बैंकों के मुकाबले एक से दो प्रतिशत तक कम दर पर ब्याज लगता है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने इससे पहले कहा था कि मुद्रा बाजार में निम्न दरों के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से बैंकों को कर्ज दरों में कमी करने पर मजबूर होना पड़ेगा।