रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध अभी भी जारी है, एक साल से ज्यादा हो चुका है, लेकिन जमीन पर स्थिति अभी भी विस्फोटक बनी हुई है। अब इस एक युद्ध की वजह से कई देशों के लिए कई समीकरण बदल चुके हैं। इसका असर सबसे ज्यादा तेल की सप्लाई पर पड़ा है। अभी इस समय युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों ने रूस से तेल लेना बंद कर दिया है, लेकिन इसकी भरपाई इस समय भारत और चीन कर रहा है।

एक आंकड़ा बताता है कि भारत का इस समय तेल का जो कुल आयात है, उसमें एक तिहाई तो रूस का ही है। यानी कि भारत ने युद्ध के समय लगातार रूस से तेल आयात किया। इस बारे में ONGC हेड अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि रूसी तेल का भारत में आयात 2021 से पहले 2 फीसदी से भी कम था। लेकिन अब वो 10 गुना बढ़ चुका है और कुल आयात का 20 प्रतिशत चल रहा है। कहा जा रहा है कि अगले साल तक ये आंकड़ा 30 फीसदी पर भी पहुंच सकता है।

वैसे एक आंकड़ा ये भी है कि वर्तमान में रूस का 80 फीसदी तेल भारत और चीन आयात कर रहे हैं। मई महीने में तो रिकॉर्ड तेल रूस ने भारत और चीन को आयात किया है। अब इसमें भारत की बड़ी कूटनीति सामने आती है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से तेल के दाम काफी तेजी से बढ़ गए थे। भारत ने उसकी काट निकालते हुए अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस से तेल आयात करना शुरू कर दिया। इससे भारत में तेल सप्लाई भी ठीक हो गई, रेट भी कम हो गए और दुनिया ने भारत की कूटनीति भी देख ली।

वैसे इस मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान भी पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि भारत जैसी विदेश नीति होनी चाहिए, उसने रूस से सस्ता तेल ले लिया। इसी तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हाल ही में अमेरिका में भारत सरकार के इस स्टैंड का समर्थन किया था। यानी कि रूस तेल आयात करने के मामले में भारत ने ना सिर्फ अपना फायदा किया बल्कि सफल कूटनीति की झलक भी दिखा दी।