Rupee vs Dollar: रुपया आज, 5 अगस्त 2025 (मंगलवार) को शुरुआती कारोबार में 29 पैसे टूटकर 87.95 प्रति डॉलर पर आ गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि रुपया दबाव में है और इस सप्ताह भी दबाव में रह सकता है, क्योंकि अमेरिका ने रूसी तेल खरीदना जारी रखने पर भारत पर हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 प्रति डॉलर पर कमजोर रुख के साथ खुला जो पिछले बंद भाव से 29 पैसे की गिरावट दर्शाता है।

रुपया सोमवार (4 अगस्त) को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.66 पर बंद हुआ था। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.04 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.81 पर आ गया। घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स शुरुआती कारोबार 200.40 अंक की गिरावट के साथ 80,818.32 अंक पर जबकि निफ्टी 58.90 अंक फिसलकर 24,663.80 अंक पर आ गया।

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अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.28 प्रतिशत फिसलकर 68.57 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सोमवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 2,566.51 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

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क्यों हुई रुपये में इतनी बड़ी गिरावट

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अमेरिकी शुल्क में खासी बढ़ोतरी करने जा रहे हैं। ट्रंप ने भारत पर भारी मात्रा में रूस से तेल खरीदने और उसे बड़े मुनाफे पर बेचने का आरोप लगाया।

भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए उसे ‘‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’’ तरीके से निशाना बनाने को लेकर सोमवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ पर जोरदार पलटवार किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाया गया है। इसमें कहा गया कि वास्तव में, भारत ने रूस से आयात करना इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।

बयान में कहा गया, ‘‘ उस समय अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत रूस से जो आयात करता है, उसका उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की लागत को किफायती बनाए रखना है।