इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइल करने का मौसम चल रहा है, तो आप कुछ खास बातों का ध्‍यान रखें। ये बातें बहुत बारीक हैं। लोग अक्‍सर इन्‍हें नजरअंदाज कर जाते हैं, जिसकी वजह से उन्‍हें इनकम टैैक्‍स विभाग का नोटिस भी मिल जाता है। नोटिस से बचने के लिए इन बारीकियों पर नजर रखें:

1- अमूमन लोग यह मान कर चलते हैं कि बतौर ब्‍याज 10 हजार रुपए तक की रकम पर टैक्‍स नहीं लगता है। असल में ऐसा नहीं है। आयकर कानून की धारा 80 टीटीए के तहत एक साल में 10 हजार रुपए तक इंटरेस्‍ट (ब्‍याज) की रकम टैक्‍स-फ्री है, पर यह रकम केवल बचत खाते में जमा पैसे पर मिला ब्‍याज होनी चाहिए।

2- एक और बारीक बात लोग भूल जाते हैं। वे मान कर चलते हैं कि अगर बैंक ने उनसे टीडीएस काट लिया तो अब ब्‍याज पर टैक्‍स देने की जरूरत नहीं बनती है। लेकिन टीडीएस केवल 10 प्रतिशत टैक्‍स की दर से काटा जाता है। अगर आप ऊंचे स्‍लैब में आते हैं तो आपकी देनदारी बढ़ जाएगी।

3- अगर आपने नौकरी बदली है तो पुराने दफ्तर से हुई इनकम और वहां कटे टैक्‍स की जानकारी नए ऑफिस को दें। अक्‍सर लोग ऐसा नहीं करते हैं। ऐसे में होता क्‍या है कि पुराने ऑफिस के साथ-साथ उन्‍हें नए ऑफिस में भी 2.5 लाख रुपए की बेसिक छूट और सेक्‍शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर मिलने वाली पूरी छूट का फायदा मिल जाता है। यानी उन्‍हें कुल पांच लाख रुपए की बेसिक छूट और तीन लाख रुपए सेक्‍शन 80सी के तहत छूट मिल जाती है। जबकि एक साल के अंदर यह छूट 2.5 और 1.5 लाख रुपए से ज्‍यादा हो ही नहीं सकती। जब इन्‍कम टैक्‍स डिपार्टमेंट यह गलती पकड़ता है तो वह संबंधित व्‍यक्ति को नोटिस भेजता है और अतिरिक्‍त टैक्‍स वसूला जाता है। अगर बकाया टैक्‍स 10 हजार रुपए से ज्‍यादा है तो 15 मार्च के बाद से हर महीने एक फीसदी की दर से लेट फाइन भी वसूला जाता हैै।

4- बड़ी संख्‍या में लोग यह मान कर चलते हैं कि अगर उनकी टैक्‍स देनदारी नहीं बनती है तो उन्‍हें इन्‍कम टैक्‍स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है, जबकि ऐसी छूट कानून में नहीं दी गई है। बेसिक छूट (60 साल से कम के लोगों के लिए ढाई लाख रुपए, इससे ऊपर के लोगों के लिए 3 लाख रुपए और बेहद बुजुर्ग यानी 80 साल से ज्‍यादा उम्र वालों के लिए पांच लाख रुपए) से ज्‍यादा कमाई करने वाले हर व्‍यक्ति को रिटर्न फाइल करना होता है। भले ही आप निवेश आदि के जरिए टैक्‍स देनदारी शून्‍य क्‍यों न बना लें।

5- सैलरीड लोगों में एक आम गलतफहमी है कि अगर उनकी आमदनी पांच लाख रुपए सालाना तक है तो उन्‍हें रिटर्न नहीं भरना है। यह नियम चार साल पहले आया था, लेकिन इसे कब का खत्‍म कर दिया गया है।

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6- घर खरीदने के लिए हाउसिंग लोन लेते हैं तो उस पर चुकाए गए ब्‍याज और मूलधन पर टैक्‍स छूट मिलती है। लेकिन यहां यह ख्‍याल रखने वाली बात है कि यह छूट तभी मिलेगी, जब आप पांच साल तक वह घर बेचेंगे नहीं। अगर आपने पांच साल से पहले घर बेच दिया तो ब्‍याज पर मिली छूट तो कायम रहेगी, लेकिन मूलधन वापसी पर आपको मिला टैक्‍स रिबेट रद्द हो जाएगा। इसी तरह अगर आपने जीवन बीमा पॉलिसी पर टैक्‍स छूट लिया है तो इसे कायम रखने के लिए आपको कम से कम तीन साल तक पॉलिसी जारी रखनी होगी। ऐसा नहीं करने परआपसे टैक्‍स छूट की रकम वसूल ली जाएगी।

7- जब आप घर खरीदते हैं और उसकी कीमत 50 लाख रुपए से ज्‍यादा दिखाते हैं तो बेचने वाले से 1 प्रतिशत की दर से टीडीएस काटना नहींं भूलें। अगर बेचने वाला एनआरआई है तब तो टीडीएस 30 फीसदी होगा। टीडीएस की रकम एक सप्‍ताह के भीतर सरकार के पास जमा करा दें, नहीं तो आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है।

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8- टैक्‍स बचाने के लिए लोग अक्‍सर पति/पत्‍नी और नाबालिग बच्‍चों (जिनकी कमाई नहींं होती) के नाम से निवेश करते हैं। अगर आपने उन्‍हें गिफ्ट किया है तो उस पर टैक्‍स नहीं लगेगा। लेकिन अगर उन्‍हें गिफ्ट किए गए पैसे या प्रॉपर्टी से कमाई हो रही है तो वह कमाई आपकी मानी जाएगी। उसे आपकी इनकम में जोड़ कर टैक्‍स वसूला जाएगा। मसलन, अगर आपने पत्‍नी के नाम फ्लैट ले लिया और उस फ्लैट से किराया आ रहा है तो किराया आपकी कमाई में जुड़ेगा।