मुकेश अंबानी की स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने नया इतिहास रच दिया है। कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन (एम-कैप या बाजार पूंजीकरण या बाजार मूल्य) 8 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का हो गया है। RIL इस बेंचमार्क तक पहुंचने वाली पहली कंपनी बन गई है। कंपनी के शेयर में 23 अगस्त को 1.72 फीसद की वृद्धि हुई और एक शेयर का मूल्य रिकॉर्ड 1,268 रुपये तक पहुंच गया। इसके साथ ही कंपनी का बाजार मूल्य भी 8,04,247 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। RIL ने 13 जुलाई को 7 लाख करोड़ का आंकड़ा छुआ था। रिलायंस सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के बाद ऐसा करने वाली दूसरी कंपनी बनी थी।
RIL के शेयर का मूल्य पिछले कुछ महीनों से लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि TCS और टाटा जैसी दिग्गज कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नया मुकाम हासिल किया। शेयर बाजार में भी मामूली तेजी का रुख रहा। बताया जाता है कि रिलायंस जियो गीगा फाइबर और जियो फोन-2 से अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद में निवेशकों ने RIL के शेयर की खरीदारी जारी रखी। रिलायंस जियो गीगा फाइबर रिलायंस जियो की ब्रॉडबैंड सर्विस है। विशेषज्ञों ने RIL के शेयर में वृद्धि के लिए हाल में अमल में आई नई रिफाइनरी और पेटकोक प्रोजेक्ट को भी प्रमुख वजह माना है।
रिलायंस जियो को 612 करोड़ का फायदा: RIL की स्वामित्व वाली रिलायंस जियो ने जून तिमाही में 612 करोड़ रुपये का मुनाफा दिखाया था। जियो को मार्च तिमाही में भी 510 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ था। कंपनी ने संगठित खुदरा बिक्री में भी तकरीबन सवा सौ फीसद की वृद्धि होने की बात कही थी। ट्राई के आंकड़ों को मानें तो जियो जून में 9.71 लाख यूजर्स को जोड़ने में सफल रही थी। इस तरह टेलीकॉम कंपनी का सब्सक्राइबर बेस 21.50 करोड़ हो गया था। जियो के मार्केट शेयर में भी बढ़ोत्तरी हुई थी। यह आंकड़ा 18.78 फीसद तक पहुंच गया था। बता दें कि जियो के बाजार में आने के बाद से ही टेलीकॉम सेक्टर की दिग्गज कंपनियां लगातार अपनी जमीन खो रही हैं। खासकर एयरटेल को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। जियो के आक्रामक नीतियों की वजह से आइडिया और वोडाफोन को एक होना पड़ा है।