पश्चिमी देशों द्वारा रूसी तेल कंपनियों को लेकर लिए गए हालिया कदमों पर रिलायंस इंडस्ट्री की तरफ से बयान आया है। रिलायंस ने कहा कि हमने रूस से क्रूड ऑयल के इंपोर्ट और यूरोप को रिफाइंड प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट्स पर ईयू, यूके और अमेरिका द्वारा हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों पर ध्यान दिया है।

कंपनी ने कहा कि इन प्रतिबंधों को देखते हुए उसके रिफाइनरी परिचालन में बदलाव किए जाएंगे। रिलायंस वर्तमान प्रभावों का आकलन कर रही है, हम यूरोप में रिफाइंंड प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट पर ईयू के दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।

RIL के एक प्रवक्ता ने कहा, ”हम यूरोप में रिफाइंंड प्रोडक्ट्स के आयात को लेकर यूरोपीय संघ के दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।”

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि वह लागू प्रतिबंधों का पालन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। कंपनी के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ताजा प्रतिबंधों के अनुपालन प्रावधानों को पूरा करने के लिए रिफाइनरी परिचालन में बदलाव करेगी।

अमेरिकी सरकार ने रूस की किन कंपनियों पर लगाया प्रतिबंंध?

अमेरिकी सरकार ने 22 अक्टूबर को रूस की दो बड़ी तेल उत्पादक कंपनियों- रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल पर प्रतिबंध लगा दिए, जिससे सभी अमेरिकी संस्थाओं और व्यक्तियों को उनके साथ व्यापार करने से रोक दिया गया। प्रतिबंधित कंपनियों या उनकी अनुषंगी कंपनियों के साथ लेनदेन करने पर गैर-अमेरिकी कंपनियों को भी दंड का सामना करना पड़ सकता है।

अमेरिका के वित्त विभाग ने कहा है कि रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से जुड़े सभी मौजूदा लेनदेन 21 नवंबर तक पूरे कर लिए जाने चाहिए। भारत के कच्चे तेल आयात में लगभग एक तिहाई हिस्सा रूस का है। रूस ने भारत को वर्ष 2025 में औसतन लगभग 17 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का निर्यात किया। इसमें से लगभग 12 लाख बैरल प्रतिदिन तेल सीधे रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से आया। इनमें से ज्यादातर तेल निजी रिफाइनरी रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी ने खरीदा था। (इनपुट – भाषा)

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