सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी को रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ अपने विवाद में ज्यादा मुआवजा शायद ही मिले क्योंकि अनुबंध में इस तरह मामलों के लिए पिछली तारीख से जुर्माने का प्रावधान नहीं है। हालांकि यह तय हो गया है कि ओएनजीसी के क्षेत्रों से गैस रिसकर निकटवर्ती रिलायंस इंडस्ट्रीज के क्षेत्रों में गई थी।
ओएनजीसी ने 2013 में दावा किया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कृष्णा गोदावरी बेसिन स्थित केजी डीडब्ल्यूएन-98:3 (केजी डी6) ब्लाक की सीमा के पास जानबूझकर कुएं खोदे।
इस ब्लाक की सीमा ओएनजीसी के गोदावरी ब्लाक :जी-4: से लगती है और उसने आशंका जताई कि उसकी कुछ गैस निकटवर्ती ब्लाक के जरिए निकाल ली गई।
दोनों कंपनियों ने इस मामले के अध्ययन के लिए अमेरिकी परामर्शक फर्म डेगोलयर एंड मैकनाटन :डीएंडएम: की नियुक्ति की थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने केजी डी6 ब्लाक से गैस उत्पादन अप्रैल 2009 में शुरू किया जबकि ओएनजीसी ने जी-4 ब्लाक का विकास अभी नहीं किया है।
ओएनजीसी ने अपने क्षेत्र की गैस निकालने के लिए आरआईएल से मुआवजा मांगा है। एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च ने एक नोट में कहा है कि उत्पादन हिस्सेदारी अनुबंध (पीएससी) में इस तरह की मामले में पिछली तारीख से जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है।