देश के शीर्ष उद्योगपतियों में शुमार मालिक मुकेश अंबानी अपनी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में संगठनात्मक बदलाव करने जा रहे हैं। इस बदलाव के तहत समूह की अन्य कंपनियों को एक अंब्रेला कंपनी के तहत लाया जाएगा। हालांकि, सभी कंपनियों का अपना स्वतंत्र अस्तित्व होगा।
इन कंपनियों का अपना अलग-अलग गवर्नेंस स्ट्रक्चर भी होगा। बिजनेस टुडे की खबर के अनुसार सूत्रों का कहना है कि इसका उद्देश्य रिलायंस इंडस्ट्रीज की अन्य कंपनियों जैसे रिलायंस जियो, रिलायंस रिटेल, रिफाइनिंग और पेट्रोकैमिकल में रणनीतिक रूप से निवेश करना है।
मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने फ्लैगशिप पेट्रोलियम बिजनेस का पैसा अभी टेलीकॉम और रिटेल की सहायक कंपनियों को खड़ा करने में कर रही है। इसके साथ ही कंपनी ने अमेरिका में शेलगैस और मीडिया असेट्स का अधिग्रहण किया है।
खबर के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जियो को खड़ा करने में 3.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसके अतिरिक्त पिछले पांच साल में कंपनी ने पेट्रोकैमिकल बिजनेस के विस्तार में 1 लाख करोड़ रुपये निवेश किए हैं। नए संगठनात्मक बदलाव के बाद सभी कंपनियां स्वतंत्र इकाई बने रहने के साथ ही एक होल्डिंग कंपनी के अंतर्गत आ सकती हैं।
खबर के अनुसार सूत्रों का कहना है कि इन सभी कंपनियों का अलग-अलग बैलेंस शीट, फाइलिंग और गवर्नेंस स्ट्रक्चर होगा। एक कंपनी की देनदारी से दूसरी कंपनी प्रभावित नहीं होगी। इसमें एक कंपनी दूसरी कंपनी के नकदी का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी।
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि RIL टाटा संस की तरह एक होल्डिंग कंपनी बनेगी या नहीं। मालूम हो कि RIL की मौजूदा वैल्यू 7.75 लाख करोड़ रुपये है। कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में 39,588 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया था। इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू 622,809 करोड़ रुपये था। माना जा रहा है कि कंपनी अपनी सहायक कंपनियों को स्वतंत्र कंपनी बनाकर उनकी वैल्यू को बेहतर करना चाहती है। इससे पहले आदित्य बिड़ला, जेएसडब्ल्यू और अडानी समूह भी ऐसा कर चुका है।