RBI MPC Meeting 2024: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की पहली बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसा लगातार सातवीं बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में बदलाव ना करने का फैसला किया है। RBI की 6 सदस्यों वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटीमें 5-1 के अनपात में रेपो रेट में बदलाव ना करने का फैसला लिया गया। यानी 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रखने में सहमति जताई।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार (5 अप्रैल 2024) को चालू वित्त वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है। यह लगातार सातवां मौका है जबकि रेपो दर में बदलाव नहीं किया गया है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के सात प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति के 2024-25 में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘एमपीसी ने मौजूदा स्थिति पर गौर करते हुए नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है।’’ उन्होंने कहा कि इसके साथ एमपीसी सदस्यों ने लक्ष्य के अनुरूप खुदरा महंगाई को लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय को भी कायम रखने का फैसला किया है। आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। उससे पहले मई, 2022 से लगातार छह बार में नीतिगत दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
एजेंसी इनपुट के साथ