RBI MPC Meeting December 2024 Announcements: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (मौद्रिक नीति समिति) की बैठक का आज तीसरा दिन है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज इस बैठक में लिए गए बड़े फैसलों का ऐलान कर दिया। बता दें कि बड़ी आर्थिक चुनौतियों के बीच हुई इस बैठक में रेपो रेट से जुड़ा फैसला लिया गया। और लगातार 11वीं बार ऐसा हुआ है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। जी हां, रेपो रेट (Repo Rate) 6.50 प्रतिशत पर ही कायम है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली कमेटी ने एमपीसी मीटिंग के आखिरी दिन यानी आज (6 दिसंबर) अपने फैसलों की जानकारी दी। यह मीटिंग 4 दिसंबर को शुरु हुई थी और आज इसका आखिरी दिन था।

RBI की 6 सदस्यों वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 4-2 के अनुपात में रेपो रेट में बदलाव ना करने का फैसला लिया गया। यानी 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर ही बरकरार रखने में सहमति जताई।

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘मौद्रिक नीति का व्यापक प्रभाव होता है, समाज के हर क्षेत्र के लिए कीमत स्थिरता जरूरी और हम आर्थिेक वृद्धि को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं। आरबीआई अपने मौद्रिक नीति रुख को ‘तटस्थ’ बनाए रखेगा।’

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इसके साथ ही आरबीआई ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार (4 दिसंबर 2024) को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में लिए गए इन निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को यथावत रखने का निर्णय किया है।

दास ने कहा, ‘आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत किया। दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत देने वाले संकेतक अब समाप्त होने की स्थिति में है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार दबाव रहने से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची रहने की संभावना है। रबी उत्पादन से राहत मिलेगी।’

आरबीआई गवर्नर के मुताबिक, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत किया।

क्या होती है रेपो रेट

रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है। रेपो दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों (Loans) पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।