भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कार्ड जारी करने वाली कंपनियों को क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी करने को लेकर मास्टर डायरेक्शन जारी किये हैं। गुरुवार (21 अप्रैल) को जारी ये दिशा निर्देश सभी शेड्यूल बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियों पर लागू (NBFC) होगा। हालांकि पेमेंट बैंक, स्टेट को- ऑपरेटिव बैंक और जिला केंद्रीय को- ऑपरेटिव बैंक को इसमें छूट दी गयी है।

1 जुलाई से लागू होंगे दिशा निर्देश:आईबीआई की ओर से जारी नए दिशा निर्देश के मुताबिक अब कोई बैंक या एनबीएफसी बिना ग्राहक की मंजूरी के उसके क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने, क्रेडिट कार्ड जारी करने या अन्य किसी सुविधा देने पर रोक लगा दी है। यदि क्रेडिट जारी करने वाली कंपनियों ने इन दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया तो जुर्माने के रूप में बिल की राशि का दोगुना भरना होगा।

इसके साथ ही आईबीआई ने क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली सभी कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी ग्राहक से बकाया बिल की वसूली के लिए तीसरे पक्ष का इस्तेमाल नहीं किया जाए और न ही ग्राहकों को डराया धमकाया जाए।

कार्ड नहीं बंद करने पर लगेगा जुर्माना: नए दिशा निर्देशों के मुताबिक यदि कोई ग्राहक क्रेडिट बंद करने के लिए आवेदन करता है तो कार्ड जारीकर्ता को सात दिनों के अंदर क्रेडिट कार्ड को बंद करना होगा। यधपि ग्राहक ने बकाया बिल का पूरा भुगतान किया हो लेकिन इसके बाद भी कार्ड जारी करने वाली कंपनी क्रेडिट कार्ड बंद नहीं करती है तो उसे 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से कंपनी को जुर्माना देना होगा।

यदि कोई भी उपयोगकर्ता एक साल से अधिक समय क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं करता है तो उसके क्रेडिट कार्ड को बंद करने का प्रोसेस कार्ड जारी करने वाली कंपनी की ओर से शुरू कर दिया जाएगा। कार्ड बंद करने से पहले ग्राहक को एक संदेश भेजा जाएगा यदि वह 30 दिन के अंदर कोई जवाब नहीं देता है तो उसका कार्ड 30 दिनों के बाद अपनेआप ही बंद कर दिया जाएगा।

इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियां अपनी वेबसाइट और अन्य माध्यमों से ग्राहकों को विभिन्न श्रेणियों की ब्याजदर के बारे में जानकारी देनी होंगी।