सरकार और RBI के बीच विभिन्‍न मसलों को लेकर जारी तकरार के बीच सोमवार (19 नवंबर) को केंद्रीय बैंक के बोर्ड की तकरीबन 9 घंटे तक बैठक चली। बोर्ड में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल और चार डिप्‍टी गवर्नर के अलावा सरकार द्वारा मनोनीत सदस्‍यों ने भी हिस्‍सा लिया। इसमें लोन देने और उसकी वसूली में रियायत समेत कुछ महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनी है। अब अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने आरबीआई बोर्ड के फैसले पर सवाल उठाए हैं। मूडीज इन्‍वेस्‍टर्स सर्विस ने मंगलवार (20 नवंबर) को कहा कि बेसल-3 के दिशा-निर्देशों को अमल में लाने के लिए बैंकों को अतिरिक्‍त समय देने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। बेसल-3 के तहत पूंजी की उपलब्‍धता (कैपिटल एडेक्‍वेसी), जोखिम (लोन) की समय-समय पर जांच-पड़ताल (स्‍ट्रेस टेस्टिंग) और मार्केट लिक्विडिटी रिस्‍क (बाजार में तरलता या पैसों की कमी या अधिकता से उत्‍पन्‍न जोखिम) को लेकर स्‍व-नियमन के लिए मानक तय किए गए हैं। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य बैंकों की सेहत और आर्थिक स्थिति को दुरुस्‍त रखना है। इसके अलावा मूडीज ने सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योगों (MSME) के 25 करोड़ रुपये तक के जोखिम वाले लोन को रिस्‍ट्रक्‍चर करने के फैसले से भारतीय बैंकों पर विपरीत असर पड़ने की आशंका जताई है। बता दें कि लोन रिस्‍ट्रक्‍चरिंग के तहत मौजूदा प्रावधानों के तहत लोन न चुका पाने वाले कर्जदारों को कुछ रियायत और छूट दी जाती है।

बैंकों पर नकारात्‍मक असर: RBI ने नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) को लेकर सख्‍त रुख अपना लिया है। साथ ही कर्ज वसूली को लेकर भी केंद्रीय बैंक ने साल के शुरुआत में ही बेहद सख्‍त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इससे छोटे उद्योगों के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो गई है। आरबीआई के सख्‍त रुख से केंद्र के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। बता दें कि आरबीआई के कदम से मोदी सरकार की महत्‍वाकांक्षी मुद्रा योजना के भी प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में सरकार लगातार लोन जारी करने के प्रावधानों में नरमी बरतने की बात कह रही थी, लेकिन अब तक आरबीआई ने इस पर अपना रुख नरम करने को तैयार नहीं हुआ था। बोर्ड की बैठक के बाद इस सिलसिले में ढिलाई बरतने पर सहमति बनी। मूडीज इन्‍वेस्‍टर्स सर्विस के उपाध्‍यक्ष श्रीकांत वाडलामणि की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक में लिए गए फैसले से बैंकों के क्रेडिट प्रोफाइल पर नकारात्‍मक असर पड़ेगा।

जोखिम वाले कर्ज में सुधार नहीं: मूडीज इन्‍वेस्‍टर्स सर्विस ने जोखिम वाले कर्ज को लेकर भी टिप्‍पणी की है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि MSME के स्‍ट्रेस्‍ड लोन (जिसके वसूली की संभावना बेहद कम है) की समस्‍या के समाधान को लेकर पिछले कुछ वर्षों में कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन इसमें अभी तक उल्‍लेखनीय सफलता नहीं मिल सकी है। ऐसे में जोखिम वाले कर्ज को स्‍टैंडर्ड कैटेगरी में रखने से उसका सही आकलन संभव नहीं हो सकेगा। श्रीकांत भविष्‍य में इसको लेकर उठाए जाने वाले कदम की गंभीरता के भी प्रभावित होने की आशंका जताई है।