रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत के आउटलुक को अब नेगेटिव कर दिया है। अब तक रेटिंग एजेंसी ने भारत की रेटिंग को स्टेबल रखा था, लेकिन अब आउटलुक को नेगेटिव कर दिया है। फिच ने भारत की सॉवरेन रेटिंग BBB- के निचले स्तर पर बरकरार रखी है। फिच ने कहा कि इंडिया की ग्रोथ और कर्ज के आउटलुक पर जोखिम बढ़ा है। फिच, मूडीज और S&P ग्लोबल रेटिंग्स, तीनों रेटिंग एजेंसियों ने फिलहाल इंडिया की इनवेस्टमेंट रेटिंग नेगेटिव कर दी है। इसके अलावा फिच और मूडीज ने इनवेस्टर्स सर्विस की रेटिंग भी नेगेटिव रखी है, जबकि S&P ने इसे स्टेबल आउटलुक दिया है। हालांकि रेटिंग एजेंसी ने भारत के लिए पहले की ही तरह इशूअर डिफाल्ट रेटिंग BBB- बरकरार रखी है. यह रेटिंग लोएस्ट इन्वेस्टमेंट ग्रेड के लिए है।

फिच ने अपने बयान में कहा कि कोरोना महामारी के संकट के चलते भारत की ग्रोथ आउटलुक कमजोर हुई है। एजेंसी ने कहा कि भारत में सरकारी कर्ज की बड़ी चुनौती है। फिच के एक्सपर्ट्स का कहना है कि वित्त वर्ष 2021 खत्म होते-होते भारत की आर्थिक ग्रोथ 5 फीसदी कम हो जाएगी। 25 मार्च को लॉकडाउन के बाद देश में करीब 60 दिनों तक आर्थिक गतिविधियां बंद थीं। हालांकि एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में देश की आर्थिक गतिविधियों की ग्रोथ 9.5 फीसदी तक रह सकती है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में तेज ग्रोथ की वजह मौजूदा बेस कमजोर रहना होगा।

फिच की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन हटाने के बाद कोरोनावायरस के केस लगातार बढ़ रहे हैं। हमारे अनुमान के मुताबिक, यह बड़ा जोखिम बना हुआ है। इस महामारी के असर, खासतौर पर फाइनेंशियल सेक्टर पर इसके असर से तय होगा कि भारत पहले वाला 6 या 7 फीसदी की ग्रोथ बरकरार रख सकता है या नहीं। रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा कि फाइनेंशियल ईयर 2021 में सरकारी कर्ज 84.5 पर्सेंट हो सकता है, जो बीते वित्त वर्ष में 71 पर्सेंट रह सकता है।