Ratan Tata Net Worth in rupees 2024: रतन टाटा एक ऐसा नाम, जिसका जिक्र होने पर सबसे पहले बिजनेस और दानवीर जैसे शब्द दिमाग में आते हैं। रतन टाटा ने अपनी जिंदगी में बहुत सारी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं और शायद कुछ शब्दों में उन्हें बयां कर पाना शायद नामुमकिन है। वह ना केवल एक सफल कारोबारी हैं बल्कि एक शानदारी लीडर, दानवीर और लाखों लोगों के लिए उम्मीद का प्रतीक हैं। आज यानी 28 दिसंबर 2023 को रतन टाटा का जन्मदिन है और उन्होंने अपनी जिंदगी के 86 साल पूरे कर लिए हैं। उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको बता रहे हैं उनसे जुड़ी ऐसी आम बातें जो शायद आप नहीं जानते होंगे।

रतन टाटा नेट वर्थ (Ratan Tata Net worth)

रतन टाटा के पास 2022 में 3800 करोड़ रुपये की नेट वर्थ थी और IIFL Wealth Hurun India Rich List 2022 लिस्ट में वह 421वें नंबर पर थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, 31 जुलाई 2023 तक टाटा एंटरप्राइजेज की 29 पब्लिक लिस्टेड कंपनी हैं और इनका कुल कारोबार 300 बिलियन डॉलर (24 ट्रिलियन रुपये) का है।

रतन टाटा को देश के दो सबसे उच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण और पद्म भूषण मिल चुके हैं। ये सम्मान उन्हें राष्ट्र निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए मिले।

आईआईटी बॉम्बे में रिसर्च को बढ़ावा देने कि लिए उन्होंने 2014 में 95 करोड़ रुपये दान कर दिए थे। इसके अलावा Croell University को हाल ही में उन्होंने 28 मिलियन डॉलर का दान दिया था। रतन टाटा ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले उद्योगपति भी हैं।

रतन टाटा: पर्सनल लाइफ

रतन टाटा का जन्म 1937 में जाने-माने पारसी टाटा परिवार में हुआ। उनके पिता नवल टाटा और मां सूनी टाटा थीं। कम उम्र में ही उन्होंने अपने पारिवारिक बिजनेस की बागडोर संभाली। उन्होंने मशहूर हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने Cornell University से आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन किया है। रतन टाटा ने 1962 में टाटा ग्रुप ज्वॉइन कर लिया था और धीरे-धीरे अपने हुनर व ग्रुप में मिलने वाले अलग-अलग एक्सपीरियंस की बदौलत उन्होंने तरक्की हासिल की। 1991 में उन्हें Tata Group की होल्डिंग कंपनी Tata Sons का चेयरमैन नियुक्त किया गया।

इसके बाद टाटा ग्रुप में कई बड़े बदलाव हुए और रतन टाटा की लीडरशिप के तहत कंपनी ने कई बड़े एक्सपेंशन देखे। नए बिजनेस में हाथ बढ़ाने के साथ ही उन्होंने आइकॉनिक Jaguar Land Rover और Corus Steel जैसे बड़े अधिग्रहण भी किए, जिसके चलते ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर टाटा ग्रुप की धाक जमी।

लखटकिया कार का सपना

बात जब रतन टाटा की हो तो नैनो कार का जिक्र होगा ही। रतन टाटा की सोच हमेशा से सिर्फ प्रॉफिट पाना नहीं रहा है। वह सामाजिक दायित्वों के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं। इसी विज़न के चलते उन्होंने टाटा नैनो जैसी किफायती कार का सपना देखा और उसे पूरा भी किया। 1 लाख रुपये में आने वाली Tata Nano ना केवल सड़कों पर उतरी बल्कि बाजार में इसने प्रतिद्वन्दियों को बजट कार लाने पर मजबू भी किया। टाटा की आइकॉनिक Tata Indica ने भी इंडियन कार के तौर पर खूब लोकप्रियता हासिल की।

टाटा ट्रस्ट (Tata Trust)

समाज के लिए काम करने और परोपकारी सोच के चलते वह टाटा ट्रस्ट को दुनियाभर में पहचान दिला सके। दुनियाभर में सबसे बड़े NGO में से एक टाटा ट्रस्ट हेल्थकेयर, एजुकेशन और रूरल डिवेलपमेंट के लिए काम करता है।

टाटा ग्रुप के सबसे बड़े मार्गदर्शक

2012 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटने के बाद भी रतन टाटा कंपनी के लिए सबसे बड़े मार्गदर्शक के तौर पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा वह NGO के काम में भी एक्टिव रहते हैं और ऐसे काम करते रहते हैं जो लोगों के दिल जीत लेते हैं। आवारा कुत्तों से उन्हें बेहद लगाव है और इसके लिए उनकी तरफ से कई काम भी किए गए हैं।

नहीं हो सकी रतन टाटा की शादी

देश के सबसे बड़े कारोबारी रतन टाटा की शादी नहीं हुई है। जी हां, वह कुंवारे हैं। एक बार एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद यह बताया था कि वह 4 बार शादी करने वाले थे लेकिन किसी वजह से ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि 1962 में उन्हें एक लड़की से प्रेम हुआ था और वह शादी करने वाले थे लेकिन भारत-चीन युद्ध के बाद लड़की की फैमिली ने उन्हें भारत आने से मना कर दिया। जिसके चलते शादी नहीं हो पाई।