कोरोना वायरस के संकट के बीच कर्मचारियों की जिंदगी को आसान करने के लिए श्रम मंत्रालय की ओर से भी तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। मंत्रालय ने कर्मचारियों और कंपनियों को दोनों को ही राहत देने का प्लान तैयार किया है। इसके तहत यदि कोई कंपनी प्रोविडेंट फंड का अपना हिस्सा जमा करने में देरी करती है तो उस पर लगने वाली पेनल्टी को माफ किया जाएगा।
कोरोना के चलते कारोबार बंद होने से हुए घाटे के मद्देनजर प्रतिष्ठानों को यह राहत दी जाएगी। इसके अलावा कर्मचारियों की बात की जाए तो न्यूनतम पेंशन की राशि को 2,000 रुपये तक करने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा किसी कर्मचारी के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में तत्काल उसके पीएफ के निकासी के आवेदन को मंजूरी दी जाएगी।
इसके अलावा नौकरी जाने या फिर संस्थान के बंद होने की स्थिति में कर्मचारी के लिए पीएफ की निकासी करना आसान होगा। इससे संकट की स्थिति में कर्मचारियों के लिए पीएफ की राशि काम आएगी और गुजारा करना आसान होगा। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों की कोरोना वायरस के दौर में समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में इस सप्ताह तक कुछ ऐलान भी किए जा सकते हैं।
मौजूदा नियम के मुताबिक यदि कोई कंपनी कर्मचारी के प्रोविडेंट फंड अकाउंट में अपने हिस्से को भरने में देरी करती है तो 12 फीसदी सालाना की ब्याज दर के हिसाब से उसे प्रति दिन फाइन देना होता है। इसके अलावा 2 से 6 महीने की देरी पर 5 से 25 फीसदी तक की पेनल्टी भी देनी होती है। अधिकारी ने कहा कि अब इस पेनल्टी में कंपनियों को राहत देने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा न्यूनतम एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम की राशि को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये किए जाने पर विचार किया जा रहा है। फिलहाल इसे कैबिनेट की मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
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