इस बात में अब कोई शक नहीं कि देश की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है। सरकार ने भी इससे निपटने के लिए बीते कुछ वक्त में कई कदम उठाए हैं। इनमें कॉरपोरेट जगत को टैक्स में दी गई राहत भी शामिल है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को बॉलीवुड फिल्मों की सफलता का उदाहरण देते हुए अर्थव्यवस्था में सुस्ती की बात को ही खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि दो अक्टूबर को तीन फिल्मों ने 120 करोड़ रुपये की कमाई की। यह “अर्थव्यवस्था” में मजबूती का संकेत देती है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री ने बेरोजगारी पर एनएसएसओ की रिपोर्ट को भी “गलत” बताया। इसमें कहा गया था कि साल 2017 में बेरोजगारी की दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा रही।
केंद्रीय मंत्री भले ही ऐसे दावे कर रहे हों लेकिन सरकार के अंदरखाने माहौल कुछ और ही है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी सुस्त पड़ती इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए नए उपायों पर काम कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, घटते राजस्व के अलावा अर्थव्यवस्था के विभिन्न मापदंडों से जुड़ी नकारात्मक खबरों को लेकर सरकार काफी चिंतित है।
द हिंदुस्तान टाइम्स ने मामले से जुड़ू तीन अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है। अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएमओ और नॉर्थ ब्लॉक केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ कई बैठकें कर रही है। मकसद राजस्व को बढ़ाना है। अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के मकसद से मांग पैदा करने के लिए पैकेज आदि का ऐलान करने में राजस्व पहली और अनिवार्य शर्त है।
मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि नकदी अब बड़ी समस्या नहीं है। सरकार ने निवेशकों के हालात को समझते हुए अभूतपूर्व कदम उठाए और कॉरपोरेट टैक्स में बड़ी राहत दी। हालांकि, इस कदम से सरकार पर 1.45 लाख करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया। अधिकारी ने नाम न सार्वजनिक किए जाने की शर्त पर बताया कि सरकार का अब फोकस बाजार में डिमांड को बढ़ाने पर है। इस मोर्चे पर इनकम टैक्स में राहत देने, बैंकों को आकर्षक ईएमआई वाले ऑटो और होम लोन देने के लिए प्रोत्साहित करने, रियल एस्टेट से जुड़े कानूनों और टैक्स नियमों में बदलाव करने और बिल्डरों को राहत देने जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
सरकार ऑटोमोबाइल बिक्री बढ़ाने के लिए कुछ राहत देने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। हालांकि, सरकार के सामने गाड़ियों पर जीएसटी में राहत देने के मामले में काफी मुश्किल है क्योंकि इसके लिए राज्य तैयार नहीं होंगे। राज्यों को इस कदम से राजस्व में 60 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जिन अन्य प्रस्तावों पर विचार हो रहा है, उनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में पब्लिक इनवेस्टमेंट बढ़ाना आदि भी शामिल है।
सरकार ने हाल ही में महंगाई भत्ते में इजाफा करके 50 लाख केंद्र सरकार कर्मचारियों को तोहफा दिया। सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से डिमांड में तेजी आएगी। अधिकारी के मुताबिक, कुछ और कदम उठाए जाने की उम्मीद है, हालांकि यह सब कुछ फंड्स की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।