प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में कारोबारी वातावरण को आसान बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों का उल्लेख करते हुए आज चीन के निवेशकों से भारत में बदलाव की इस बयार का फायदा उठाने के लिए आगे आने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि भारत में आज नियामकीय व्यवस्था अधिक पारदर्शी, संवेदनशील और मजबूत है। इस बीच, यहां दोनों देशों की प्रमुख कंपनियों के बीच 22 अरब डॉलर मूल्य के करारों पर हस्ताक्षर किए गए।
मोदी ने चीन की तीन दिन की राजकीय यात्रा के अंतिम दिन यहां चीन की प्रमुख कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘चीन की कंपनियों के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है।’’ चीन में वित्तीय कंपनियों के इस प्रमुख केंद्र में आयोजित बैठक में अलीबाबा समूह के चेयरमैन जैक मा सहित 22 शीर्ष चीनी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने देश में नया व्यावसायिक वातावरण सृजित करने एवं उसे सुधारने का बीड़ा उठाया है। मैं आपको भरोसा दिला सकता हूं कि आपने एक बार भारत में आने का फैसला कर लिया तो मुझे यकीन है कि आपको कारोबार में उत्तरोत्तर अधिक आसानी ही होगी।’’
मोदी ने शंघाई में भारत-चीन व्यवसायिक मंच की बैठक को भी संबोधित किया जिसमें दोनों देशों की प्रमुख कंपनियों के सीईओ शामिल हुए। मोदी ने कहा, ‘‘भारत कारोबार के लिए तैयार है। आपको भारत में बदलाव की बयार का एहसास हो रहा होगा। मेरी आपको यही सलाह है कि आप आएं और उस बदलाव का महसूस करें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि चीन और भारत एशिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और दोनों के बीच ‘‘सौहार्दपूर्ण भागीदारी’’ इस महाद्वीप के आर्थिक विकास एवं ‘राजनीतिक स्थिरता’ लिए महत्वपूर्ण है।
मोदी ने विनिर्माण क्षेत्र में चीन और सेवा क्षेत्र में भारत की ताकत का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आप ‘दुनिया की फैक्टरी’ हैं और हम ‘दुनिया का बैक-ऑफिस।’ आपका जोर हार्डवेयर के उत्पादन पर है, जबकि हम साफ्टवेयर और सेवाओं पर ध्यान दे रहे हैं।’’
चीनी कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों की बैठक में अलीबाबा के अलावा चाइना लाइट एंड पावर, शियाओमी, हुआवेई और त्रिना सोलर जैसी दिग्गज कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
मोदी ने चीन के उद्यमियों को आश्वस्त किया कि भारत का आर्थिक माहौल बदल चुका है। ‘‘हमारी नियामकीय व्यवस्था कहीं अधिक पारदर्शी, संवेदनशील और मजबूत है। हम विभिन्न मुद्दों पर दीर्घकालिक एवं भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि कारोबार के लिए आसानी की दिशा में काफी कदम उठाए जा चुके हैं और बहुत से उठाए जा रहे हैं।
मोदी ने कहा कि दोनों देशों में वृद्धि की पर्याप्त संभावना है और गरीबी की समस्या है जिससे हम साथ मिलकर निपट सकते हैं। ‘‘मैं सहयोग की इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रतिबद्ध हूं। इसीलिए मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भी चीन की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री के रूप में भी मैं इसमें यकीन करता हूं और सामाजिक आर्थिक विकास के लिए दोनों देशों के बीच परस्पर आदान प्रदान एवं सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हूं।’’
मोदी ने कहा कि वह और राष्ट्रपति शी चिनफिंग दोनों देशों के बीच मजबूत भागीदारी के प्रयास कर रहे हैं और उन्हें इससे बड़ी उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम उन क्षेत्रों का विकास करने के इच्छुक हैं जिनमें चीन मजबूत स्थिति में है। हमें आपके सहयोग की जरूरत है। भारत में बुनियादी ढांचे और इससे जुड़े विकास के क्षेत्र में सहयोग की विशाल संभावनाएं मौजूद हैं।’’
मोदी ने उल्लेख किया कि मार्च में उन्होंने दिल्ली में अलीबाबा के प्रमुख जैक मा के साथ भारत में सूक्ष्म रिण की सुविधाओं को मजबूत करने में संभावित सहयोग पर चर्चा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चीन की तरह भारत भी विनिर्माण क्षेत्र को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित करना चाहता है ताकि देश की युवा आबादी के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सके। देश की आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम ‘मेक थिंग्स इन इंडिया’ (चीजों को भारत में ही बनाना) चाहते हैं। हमने इसके लिए मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया है… हमें श्रमोन्मुखी उद्योगों के विकास, मजबूत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए माहौल तैयार करने, कौशल विकास, बुनियादी ढांचे के निर्माण और निर्यातोन्मुखी विकास के मॉडल के बारे में आपसे काफी कुछ सीखना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे शुरुआती उपायों से निवेशकों का विश्वास बहाल करने में मदद मिली है। निजी निवेश की धारणा और विदेशी निवेश का प्रवाह सकारात्मक है। अप्रैल, 2014 और फरवरी, 2015 के बीच एफडीआई प्रवाह एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 39 प्रतिशत बढ़ा है।’’
मोदी ने कहा कि भारत और चीन की भागीदारी फलनी फूलनी चाहिए और ऐसा निश्चित रूप से होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि इस भागीदारी का परिणाम बहुत अच्छा होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच सौहार्दपूर्ण भागीदारी एशिया के आर्थिक विकास एवं राजनीतिक स्थिरता के लिए बहुत जरूरी है।’’
उन्होंने कहा कि दोनों देश विगत में एक दूसरे के पूरक रहे हैं और हम वर्तमान और भविष्य में भी एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं।