किसानों को हर साल 6,000 रुपये की गारंटी देने वाली पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम के तहत 8,80,68,114 किसानों के खाते में छठी किस्त की रकम पहुंच चुकी है। देश के कई राज्यों में पंजीकृत 90 फीसदी किसानों के अकाउंट में राशि पहुंच चुकी है, लेकिन बीजेपी शासित राज्य असम में अब तक एक भी किसान के खाते में पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ है। सूबे में स्कीम के तहत किसानों का कुल डाटा 14,14,228 का है, लेकिन अब तक किसी भी लाभार्थी को छठी किस्त नहीं मिली है। पीएम किसान योजना की वेबसाइट https://pmkisan.gov.in/ के मुताबिक पांचवीं किस्त की रकम भी 31 फीसदी किसानों के अकाउंट में ही ट्रांसफर हो पाई थी। वेबसाइट के अनुसार 5वीं किस्त के लिए राज्य में 27,68,572 किसानों का डाटा था, जिसमें से 8,50,072 किसानों को ही यह रकम मिली थी।
पीएम किसान स्कीम की वेबसाइट के अनुसार तमिलनाडु के 94 पर्सेंट किसानों के खाते में रकम ट्रांसफर हो चुकी है। इसके अलावा पुदुचेरी के 91 फीसदी किसान इसका लाभ उठा चुके हैं। केरल में 91 पर्सेंट किसानों को रकम मिल चुकी है, जबकि कर्नाटक का आंकड़ा 93 फीसदी का है। शिवसेना शासित महाराष्ट्र में 85 फीसदी और गुजरात में 93 पर्सेंट किसानों को इसकी रकम मिल चुकी है। यही नहीं जम्मू-कश्मीर में भी 90 फीसदी किसान इसका लाभ उठा चुके हैं। संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1,12,01,521 किसानों को छठी किस्त का पैसा मिल चुका है। कुल डाटा के मुकाबले यह आंकड़ा 73 फीसदी के बराबर ही है।
गौरतलब है कि पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम पूरी तरह से केंद्र सरकार के फंडिंग वाली योजना है। छठी किस्त के तहत अब तक 8 करोड़ 80 लाख से ज्यादा किसानों को रकम मिल चुकी है। इससे पहले 5वीं किस्त के तहत 10 करोड़ 45 लाख लोगों को यह रकम हासिल हुई थी। इस स्कीम के तहत पंजीकरण कराने वाले किसानों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि छठी किस्त का लाभ सबसे ज्यादा किसानों को हासिल होगा। बता दें कि छठी किस्त अगस्त से नंवबर तक के लिए जारी की गई है। इसके पश्चात दिसंबर से मार्च तक के लिए सातवीं किस्त जारी की जाएगी।
हाल ही में असम में इस स्कीम के तहत 9 लाख ऐसे लाभार्थियों की पहचान हुई थी, जो योजना का लाभ उठाने के पात्र नहीं थे। राज्य के कृषि मंत्री अतुल बोरा की ओर से विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक 9,39,146 ऐसे लाभार्थी पाए गए हैं, जो स्कीम के नियमों के तहत पात्र नहीं थे। इसके अलावा तमिलनाडु के भी एक जिले में ऐसे 38,000 लाभार्थियों का मामला सामने आया था।