स्विजरलैंड की दवा बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी नोवर्टिस ने मंगलवार को कहा कि कंपनी की ओर घोषित किए गए रिस्ट्रक्चर प्लान के तहत 8000 कर्मचारियों की छुट्टी करने जा रही है, जो कंपनी के कुल वैश्विक कर्मचारियों का 7.4 फीसदी है, जिसमें कंपनी के स्विट्जरलैंड ऑफिस में काम कर रहे 1,400 कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है।

इस छटनी को लेकर कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव वास नरसिम्हा ने कहा कि “सिंगल डिजिट थाउसैंड्स” हमारे रिस्ट्रक्चर प्लान का हिस्सा है जो कंपनी की ओर से अप्रैल में घोषित किया गया था। इसके जरिए हमारी लक्ष्य 2024 तक एक बिलियन डॉलर की बचत करना है।

उसने अपने नए संगठनात्मक ढांचे को लागू करने में अच्छी प्रगति की है जिसमें इसकी फार्मास्यूटिकल्स और ऑन्कोलॉजी व्यावसायिक इकाइयों को एकीकृत करना शामिल है और इसके कारण संगठन में कई पदों की भूमिकाएं समाप्त हो जाएंगी।

कंपनी ने कहा कि उसके रिस्ट्रक्चर प्लान के कारण स्विट्जरलैंड में 1400 जबकि पूरी दुनिया में 8000 कर्मचारियों की छटनी हो सकती है। कंपनी के पास मौजूदा समय में स्विट्जरलैंड में 11,600 जबकि पूरी दुनिया में 1,08,000 कर्मचारी हैं।

भारत में स्टार्टअप कंपनियां भी कर रही छंटनी: INC24 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 27 स्टार्टअप कंपनियों में कुल 10,029 कर्मचारी इस साल अपनी नौकरी खो चुके हैं। कर्मचारियों को नौकरी से निकालने वाले स्टार्टअप कंपनियों में कार्स 24, ओला, मीशो, एमपीएल, अनएकेडमी और वेदांतु जैसे बड़े यूनिकॉर्न का नाम शामिल हैं। मई में 9 स्टार्टअप कंपनियों द्वारा कुल 3379 कर्मचारियों की छंटनी की गई थी। वहीं जून में अब तक 10 कंपनियां अपने कर्मचारियों को निकाल चुकी हैं।

सबसे ज्यादा छंटनी कंज्यूमर सर्विस स्टार्टअप्स में हुई है, इसके बाद ई-कॉमर्स और एजुकेशन स्टार्टअप्स का नंबर आता है। यदि तीनों सेक्टरों की सभी स्टार्टअप कंपनियों की ओर से की गई चटनी को जोड़ दिया जाए तो अब तक कुल 8659 कर्मचारियों की छंटनी की जा चुकी है।

कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग में कमी आना है। इस साल की पहली तिमाही में भारतीय स्टार्टअप्स ने कुल 11.7 अरब डॉलर की फंडिंग जुटाई थी जबकि अप्रैल में यह घटकर केवल 3.4 अरब डॉलर और मई में घटकर यह केवल 1.6 अरब डॉलर पर आ गई है।