कॉरपोरेट और पेशेवरों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की ओर आकर्षित करने के लिए पीएफआरडीए ने कहा कि सरकार को ईपीएफ जैसे सेवानिवृत्ति कोष के मुकाबले एनपीएस को समान अवसर मुहैया कराना चाहिए जिन पर ईईई (छूट-छूट-छूट) कर छूट की व्यवस्था है। एनपीएस के अंशदाताओं की संख्या 30 जून 2016 तक बढ़कर 1.29 करोड़ हो गई जबकि अटल पेंशन योजना के तहत प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति 1.32 लाख करोड़ रुपए थी। एनपीएस और अटल पेंशन योजना के अंशदाताओं में केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों की संख्या 36.6 प्रतिशत जबकि कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति में इनका अनुपात 88.6 प्रतिशत है। कॉर्पोरेट खंड के अंशदाताओं की संख्या सिर्फ 3.8 प्रतिशत और प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति में उनका योगदान 8 प्रतिशत है। पेंशन कोष नियमन एवं विकास प्राधिकार (पीएफआरडीए) ने कहा कि कॉरपोरेट और नागरिक मॉडल के तहत इसका दायरा उत्साहजनक नहीं है।
पीएफआरडीए ने एक अवधारणा पत्र में कहा कि ऐसा आंशिक रूप से इसलिए है कि एनपीएस के तहत पूरी तरह से कर छूट, ईईई व्यवस्था – योगदान पर कर छूट, जमा के दौरान मुनाफे पर कर छूट, सेवानिवृत्ति लाभ पर छूट – प्रदान नहीं की गई है। पीएफआरडीए ने कहा, ‘माना जाता है कि एनपीएस का मुकाबला ईपीएफ, सीपीएफ, सेवानिवृत्ति कोष जैसे सेवानिवृत्ति उत्पाद के साथ है इसलिए जब एनपीएस को अन्य उत्पादों के मुकाबले एनपीएस को समान अवसर प्रदान किया जाता है तो कॉर्पोरेट क्षेत्र और वकील, डाक्टर, एकाउंटेंट जैसे स्वरोजगार वाले उच्च आय समूह के व्यक्तियों की ओर से आज के मुकाबले बेहतर प्रतिक्रिया मिलेगी।’ एनपीएस पर परिपक्वता पर कर लगता है। एनपीएस लाइट – स्वावलंबन के तहत भारी संख्या में अंशदाता पंजीकृत हैं। औसत प्रति व्यक्ति प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति सिर्फ 5,000 रुपए है।