वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत तेजी से गिरते हुए 40 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क गई है। इसके बाद भी उपभोक्ताओं को भारत में पेट्रोल और डीजल पर राहत मिलने की बजाय उलटे ऊंची कीमत अदा करनी पड़ रही है। बीते 9 दिनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रति दिन इजाफा देखने को मिल रहा है। केंद्र और राज्यों की ओर से टैक्स में इजाफा करने की वजह से भारतीय उपभोक्ताओं को 65 डॉलर प्रति बैरल की दर के समान कीमत चुकानी पड़ रही है। इस बीच देश में तेल मार्केटिंग कंपनियों ने मंगलवार को लगातार नौवें दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा कर दिया है।
पेट्रोल 47 पैसे की बढ़ोतरी के साथ दिल्ली में फिलहाल 76.73 रुपये प्रति लीटर के भाव मिल रहा है। डीजल का रेट 57 पैसे के इजाफे के साथ 75.19 रुपये प्रति लीटर है। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में वैट की दर में भिन्नता के चलते भाव में अंतर है। पेट्रोल और डीजल के रेट इस तरह से बीते 21 महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। इससे पहले अक्टूबर 2018 में पेट्रोल 84 रुपये लीटर था, जबकि डीजल का भाव 75.45 रुपये लीटर था। तब ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल 80 डॉलर प्रति बैरल था, जो अब 35 से 36 डॉलर के बीच बना हुआ है।
इस लिहाज से देखें तो क्रूड ऑयल में गिरावट के बीच भी पेट्रोल और डीजल की कीमत लगातार बढ़ रही है और टैक्स में इजाफे के जरिए सरकार उपभोक्ताओं से मोटी रकम वसूल रही है। इसी साल 2 जनवरी को ही क्रूड ऑयल की कीमत 66 डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि उस वक्त पेट्रोल 76 रुपये लीटर मिल रहा था और डीजल का भाव 67.96 रुपये था।
कोरोना के चलते भले ही क्रूड ऑयल के दाम रेकॉर्ड गिरावट की ओर हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को इसका कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि सरकार ने भारत में पेट्रोल और डीजल पर टैक्स की दर को 70 फीसदी तक बढ़ा दिया है, जो इसी साल मार्च तक 50 पर्सेंट ही थी। लेकिन 16 मार्च को सरकार ने पेट्रोल और डीजल दोनों पर 3 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी। यही नहीं क्रूड ऑयल के दाम और गिरे तो सरकार ने 6 मई को एक बार फिर से पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी, जबकि डीजल पर 13 रुपये टैक्स बढ़ा दिया।
केंद्र के बाद राज्यों ने की वैट की मार: यही नहीं इससे एक दिन पहले ही दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने पेट्रोल पर 1.67 रुपये लीटर वैट बढ़ा दिया था और डीजल पर 7.10 रुपये प्रति लीटर का इजाफा कर दिया गया। दिल्ली के इस फैसले के बाद कई अन्य राज्यों ने भी कोरोना काल में राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए इस तरह का फैसला लिया। ऐसे में अब जब क्रूड ऑयल 30 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ते हुए 38 डॉलर के लेवल पर पहुंचा है तो फिर ग्राहकों पर ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ोतरी का दबाव डाला जा रहा है, जिन्हें गिरावट का कोई फायदा नहीं दिया गया था।