आज निवेश के बाजार में काफी सारे विकल्प मौजूद हैं लेकिन जब भी किसी वेतनभोगी व्यक्ति के रिटायरमेंट की बात आती है तो दो विकल्प मुख्यरूप से उभर कर आते हैं पहला एम्प्लॉयज प्रोविडेंड फंड (ईपीएफ) और दूसरा नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस)। दोनों केंद्र सरकार के तहत आने वाली योजनाएं हैं और इनमें सही तरीके से निवेश करने पर रिटायरमेंट तक एक अच्छा-खासा फंड भी जमा हो जाता है। आइए जानते हैं दोनों में से कौन-सी योजना बेहतर है……
रिटर्न: ईपीएफ पर सरकार की ओर से गारंटीड रिटर्न दिया जाता है, जिसका ऐलान सरकार के द्वारा साल के आखिर में किया जाता है। एनपीएस में रिटर्न इक्विटी आवंटन पर निर्भर करता है। अगर आपने अधिक इक्विटी वाला प्लान ले रखा है तो फिर लंबे समय में आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है लेकिन अधिक रिटर्न के साथ यहां ईपीएफ के मुकाबले जोखिम भी बढ़ जाता है।
निवेश करने के विकल्प: ईपीएफ में आप निवेश करने के विकल्प को नहीं चुन सकते। आपका पैसा एक निश्चित फंड में जमा हो जाता है। वहीं, एनपीएस आपके सामने चार विकल्प होते हैं आप अपने जोखिम के मुताबिक निवेश के विकल्प का चयन कर सकते हैं। इसमें आप इक्विटी, कॉर्पोरेट, डेब्ट आदि का विकल्प चुन सकते हैं।
निकासी: ईपीएफ में आप अपनी जमा राशि को होम लोन रीपेमेंट, मेडिकल इमरजेंसी आदि के लिए आंशिक रूप से निकाल सकते हैं जबकि एनपीएस में आप निवेश शुरू करने के 3 साल बाद जमा राशि का 25 तक ही निकासी कर सकते हैं।
टैक्स लाभ: ईपीएफ में 1.5 लाख रुपए तक का सालाना निवेश करने पर आपको इनकम टैक्स में छूट मिलती है जबकि इस पर मिलने वाली 2.5 लाख रुपए तक का सालाना ब्याज भी टैक्स फ्री होता है और निकासी पर मिलने वाली पूरी रकम पर टैक्स छूट दी जाती है। वहीं, एनपीएस में 1.5 रुपए तक सालाना रकम निवेश करने पर आपको टैक्स में छूट मिलती है। मैच्योरिटी पर 60 फीसदी रकम टैक्स फ्री होती जबकि 40 फीसदी रकम को एनुइटी में परिवर्तित कर दिया जाता है जिस पर टैक्स का भुगतान करना होता है।