संपत्ति की कीमत बढ़ने से घर खरीदना लगभग असंभव हो गया है। ऐसी स्थितियों में, होम लोन काफी लोकप्रिय बन चुका है। इस लोन पर कोई भी व्यक्ति आसानी से लोन की किस्त के रूप में हर महीने ईएमआई भरकर जमा कर सकते हैं। एक ईएमआई तय मासिक भुगतान है, जो उधारकर्ता तय समय के लिए जमा करता है। ईएमआई में मूल राशि और ब्याज की रकम दोनों शामिल होता है।
ईएमआई दो प्रकार की होती हैं- प्री ईएमआई और फुल ईएमआई। होम लोन के लिए इसमें से एक विकल्प चुनना आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से…
प्री ईएमआई क्या है?
कर्जदाताओं यह ईएमआई तब वसूल करता है, जब घर अभी भी बनाया जा रहा है। अधिकांश कर्जदाता इस विकल्प को चुनते हैं, क्योंकि लोन का सिर्फ एक हिस्सा जारी किया जाता है, इसलिए कर्ज लेने वाला व्यक्ति तब तक इस विकल्प को चुनता है जब तक कि पूरी राशि का वितरण नहीं हो जाता। निर्माण समाप्त होने तक प्री-ईएमआई का भुगतान किया जाता है, यानी अधिकतम तीन साल तक दिया जाता है और जब पूरी लोन राशि वितरित हो जाती है तो आप फुल ईएमआई का विकल्प चुन सकते हैं।
फुल ईएमआई क्या है?
लोन की पूरी राशि पर फुल ईएमआई जारी किया जाता है। इस मामले में मूल राशि का भुगतान पूर्ण या आंशिक रूप से किया जा सकता है, लेकिन कर्जदाता मासिक ईएमआई का भुगतान करने का विकल्प चुन सकता है। अगर आप पूर्ण ईएमआई विकल्प चुनते हैं, तो आपको केवल जारी की गई राशि के बजाय पूरी देय राशि का भुगतान करना होगा।
उदाहरण के अनुसार अगर किसी व्यक्ति ने 5,00,000 रुपये का 10% ब्याज दर और 20 साल की चुकौती अवधि के साथ, उसका मासिक भुगतान 48,251 रुपये होगा, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों ही इस ईएमआई राशि में शामिल हैं। किस्तों में लोन राशि देने का विकल्प चुना है, हालांकि यदि वह पूर्ण ईएमआई विकल्प चुनते हैं, तो भी उन्हें पूर्ण ईएमआई राशि का भुगतान करना होगा।
ऐसे में एक्सपर्ट की ओर से सलाह दी जाती है कि जबतक पूर्ण राशि नहीं मिल जाती आपको होम लोन पर प्री ईएमआई विकल्प ही चुनना चाहिए। लेकिन जब लोन की पूरी राशि मिल जाती है तो आप फुल ईएमआई का विकल्प चुन सकते हैं।