अभी तक नए गहनों पर हॉलमार्किंग की बात आपने सुनी होगी। लेकिन अब पुश्तैनी गहनों के लिए शुद्धता के आधार पर हॉलमार्क सर्टिफिकेट प्राप्त किया जा सकता है जिसको ज्वैलर्स, बैंकर्स और गोल्ड लोन कंपनियों का मानना ही पड़ेगा। इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक इंदरजीत सिंह ने निर्देश जरी किया है। जिसके बाद देशभर के 256 शहरों में हॉलमार्किंग कराई जा सकती है। आइए जानते है BIS के इस फैसले से आपको कितना फायदा होगा।
पुश्तैनी गहनों की हॉलमार्किंग के लिए लगेगी इतनी फीस – अब घर में रखे पुराने सोने की हॉलमार्किंग कोई भी करा सकता है। जिसके लिए आपको हॉलमार्किंग सेंटर जाना होगा। जहां पुराने सोने की हॉलमार्किंग के लिए न्यूनतम 236 रुपये फीस देनी होगी। ये फीस एक पीस से लेकर 6 पीस गहनों की हॉलमार्किंग पर लागू हो सकती है।
पुश्तैनी गहनों की हॉलमार्किंग से फायदा- अभी तक पुराने सोने को बेचने के लिए सराफा व्यापारी पर निर्भर होना होता था। लेकिन पुराने गहनों की हॉलमार्किंग के बाद आप इन्हें कहीं भी बेच सकते हैं और आपको कोई गुमराह भी नहीं कर सकेगा। क्योंकि आपके पास उस सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेट और हॉलमार्क होगा।
बीआईएस शुद्धता सर्टिफिकेट को बैंक और गोल्ड लोन कंपनियां भी मान्यता देंगी। अभी सोना गिरवी रखते समय उसकी शुद्धता तय करना उनके हाथों में होता था। साथ ही सोने की पुश्तैनी ज्वैलरी को गलाकर उसकी परख की जाती थी। अब बिना गलाए ही उनकी ज्वैलरी पर लोन मिल जाएगा, जिसे बाद में वापस लेने के रास्ते खुले रहेंगे।
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हॉलमार्किंग से नुकसान – सरकार के पुराने गहनों की हॉलमार्किंग से कई मकसद पूरे होंगे। जिसमें लोगों के लॉकरों में रखा पुराना सोना बाहर आएगा और ये निकरानी के दायरे में आ जाएगा। साथ ही घोषित अचल संपत्ति माना जाएगा।