कोविड क्‍लेम्‍स में इजाफा और ग्रुप हेल्‍थ इंश्‍योरेंस की डिमांड को देखते हुए कंपन‍ियों ने बड़ा फैसला लेते हुए कॉस्टिंग में इजाफा कर दिया है। जानकारी के अनुसार कोविड 19 के दौर में कर्मचारियों के लिए ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस की कॉस्टिंग में 40 फीसदी तक का इजाफा हो गया है। कंपनियों का यह फैसला इसलिए किया है क्‍योंकि कोविड काल में ग्रुप इंश्‍योरेंस कम मुनाफे वाला हो गया है। जिसकी वजह से प्रीमीयम में इजाफा किया गया है।

जानकारी के अनुसार ग्रुप हेल्थ बिजनेस के लिए लॉस क्लेम रेशियो 100 फीसदी से ज्यादा है। जून 2021 में यह 104-110 फीसदी था, जबकि जून 2020 में यह 90-95 फीसदी देखने को मिला था। वहीं कर्मचारी हेल्थ कवर की नई मांग के साथ एसएमई और 50 से कम कर्मचारियों वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे छोटे इंप्‍लॉयर्स से आ रही है। जिसकी वजह से कंपनियों ने इस फैसले को लेने में मजबूर होना पड़ा।

ईएसआईसी कवर पड़ रहा है कम : वास्‍तव में छोटे कारोबार करने वाली कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए ईएसआईसी कवर काफी कम पड़ रहा है। जिसकी वजह से कंपनियों की ओर से ऐसी छोटी कंपनियां ग्रुप इंश्‍योरेंस का सहारा ले रही हैं। जानकारों की मानें तो पिछले साल के मुकाबले इस साल छोटे एवं मध्‍यम उद्योग के कारोबार एसएमई कारोबार में ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस की ग्रोथ में 40-50 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है।

इन कंपनियों के प्रीमियम में कम हुआ इजाफा : वहीं दूसरी ओर जिन कंपनियों ने फुल वर्क फ्रॉम होम का कल्‍चर अडॉप्‍ट कर लिया है, उन कंपनियों के लिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्रीमि‍यम कम ही देखने को मिल रहा है। जिसका कारण है रिस्क एक्सपोजर कम कम होना। जानकारी के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल ग्रुप हेल्थ पॉलिसीज के प्रीमियम प्राइस में औसतन 30 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है। कुछ कंपनियां तो रिक्वेस्ट पर ऐड ऑन कवर उपलब्ध करा रही हैं। जिसमें टेली मेडिकल कंसल्टेशंस और एल्डरली केयर कवर होते हैं। इसके लिए एक्‍स्‍ट्रा प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है।

इस तरह के मेडिकल कवर की उम्‍मीद कर रहे हैं इंप्‍लॉयज : जानकारों की मानें तो कोरोना काल में एक इन्क्लूसिव और कॉस्ट इफेक्टिव ग्रुप हेल्थ पॉलिसी की आशा लगा रहे हैं। जिसमें मेंटल हेल्थ और वेलनेस समेत पोस्ट कोविड इफेक्ट्स भी कवर हो सकें। जो कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं, उन्हें इन्क्लूसिव वेलनेस केयर उपलब्ध कराने का एंप्लॉयर्स पर अतिरिक्त दबाव है।