रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में 50 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों की ओर से एफडी पर ब्‍याज दर में बढ़ोतरी कर दी है। आरबीआई मई से अभी तक 190 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है और अभी रिजर्व बैंक का रेपो रेट 5.9 प्रतिशत है। वहीं अभी हाल ही में एसबीआई बैंक, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक ने टर्म डिपॉजिट पर 2 करोड़ से कम जमा पर ब्‍याज में बढ़ोतरी की है।

इन बैंकों के ब्‍याज में बढ़ोतरी के कारण एफडी के इंटरेस्‍ट रेट हाई हो चुके हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए निवेश का एक बेहतर विकल्‍प हो चुका है। कई एक्सपर्ट के अनुसार, मुद्रास्फिति को मात देने के लिए एफडी पर वर्तमान ब्‍याज अच्‍छा है। हालांकि कई एक्‍सपर्ट का मानान है कि निवेशकों को लिक्विड फंड में निवेश करना चाहिए। आइए जानते हैं आपके लिए कौन सा स्‍कीम बेहतर हो सकता है।

लिक्विडी फंड क्‍या है?

लिक्विड फंड 91 दिनों या 3 महीने तक की मैच्‍योरिटी वाली फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज जैसे कि ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर, सरकारी सिक्योरिटीज, बॉन्ड और डिबेंचर में निवेश किया जा सकता है। एक्‍सपर्ट मनोज डालमिया ने कहा कि लिक्विड फंड में कोई भी व्यक्ति जब चाहे तब रिडीम कर सकता है, क्योंकि इसमें कोई लॉक इन पीरियड नहीं है। लिक्विड फंड शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स दोनों विकल्‍प के साथ आता है और इसमें इंडेक्सेशन लाभ भी हैं।

फिक्‍स डिपॉजिट (FD) क्या हैं?

फिक्‍स डिपॉजिट में कोई 7 दिनों से लेकर 10 साल तक निवेश कर सकता है, लेकिन रिटर्न केवल लंबी अवधि में अधिक होता है और कम समय में बचत खातों में समान रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है। मनोज डालमिया के अनुसार, बैंक सावधि जमा में लॉक इन पीरियड होता है और जल्दी निकासी करना केवल दंड के साथ ही संभव है। यह ब्याज आय को कम करता है।

लिक्विड फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट के बीच अंतर

मनोज डालमिया के मुताबिक, लिक्विड फंड और बैंक एफडी दोनों का इस्तेमाल शॉर्ट टर्म सरप्लस को कम करने और कम जोखिम के साथ मध्यम रिटर्न गेन करने के लिए किया जा सकता है। वहीं आप लिक्विड फंड में कभी भी पैसे की निकासी कर सकते हैं।