चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने भारत के निजी सेक्टर की सबसे बड़ी बैंकिंग कंपनी HDFC में अपने निवेश में कटौती कर दी है। अप्रैल में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने एचडीएफसी में 1.01 फीसदी की हिस्सेदारी 3,300 करोड़ रुपये के निवेश के साथ खरीदी थी। तब चीनी बैंक के सीधे तौर पर निवेश करने को लेकर काफी विवाद हुआ था और देश में चीनी निवेश को लेकर हंगामा भी हुआ था। यही नहीं केंद्र सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए सीधे तौर पर इस तरह के निवेश पर रोक भी लगा दी थी। हालांकि अभी स्पष्ट तौर पर यही नहीं कहा जा सकता है कि चीनी बैंक ने एचडीएफसी से अपनी हिस्सेदारी पूरी तरह से खत्म कर दी है या फिर कटौती की है।
बता दें कि कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज को उन निवेशकों के बारे में ही जानकारी देनी होती है, जिनकी एक फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी कंपनी में हो। बता दें कि मार्च तिमाही में एचडीएफसी के शेयरों में 40 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी। मार्च में एचडीएफसी का शेयर 1,473 रुपये का था, जिसमें अप्रैल में 30 फीसदी तक का सुधार देखने को मिला था। जून तिमाही में कमजोर कारोबार रहने के बाद फिलहाल एचडीएफसी का शेयर 2020 में अपने सबसे निचले स्तर के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा के लेवल पर कारोबार कर रहा है।
मार्केट के जानकारों का कहना है कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने भारत में गुस्से का शिकार होने से बचने के लिए हिस्सेदारी को एक फीसदी से कम करने का फैसला लिया है। अब एचडीएफसी में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने कितना निवेश किया है, उसके बारे में जानकारी हासिल नहीं की जा सकेगी।
भले ही पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना की ओर से एचडीएफसी में किया गया निवेश ज्यादा नहीं था, लेकिन बाजार में इस बात को लेकर चिंता जताई जाने लगी थी कि आखिर चीनी कंपनियां कैसे कोरोना के चलते भारत के बाजार में गिरावट के दौर का लाभ उठा सकती हैं। फिलहाल लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की एचडीएफसी में सबसे ज्यादा 5.39 पर्सेंट की हिस्सेदारी है। इसके अलावा Invesco Oppenheimer की 3.54 पर्सेंट की हिस्सेदारी है, जो दूसरा सबसे बड़ा शेयर होल्डर है।