स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMCG) जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आता है और सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रम (Ministry of Jal Shakti) को लागू करता है। अब NMCG ने हरिद्वार स्थित पतंजलि अनुसंधान संस्थान (Patanjali Research Institute) और पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान को 4.32 करोड़ रुपये का ठेका दिया है। इस परियोजना का उद्देश्य गंगा नदी के किनारों के पास पुष्प विविधता का “वैज्ञानिक अन्वेषण” करना है।

NMCG की बैठक में पतंजलि को मिला प्रोजेक्ट

NMCG की कार्यकारी समिति ने 23 दिसंबर 2022 को अपनी बैठक में पतंजलि को परियोजना आवंटित करने का निर्णय लिया। NMCG के महानिदेशक जी अशोक कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद बयान में कहा गया, “कार्यकारी समिति (EC) ने 4,32,36,107 रुपये की अनुमानित लागत पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान (PRI) और पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान (PoRI) द्वारा परियोजना को लागू करने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति और व्यय स्वीकृति जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ये 18 महीने की अवधि के लिए है।”

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया, “परियोजना लागत में NMCG का हिस्सा 2,41,50,545/- रुपये (56%) है और लागत के PoRI का हिस्सा 1,90,85,562/- रुपये (44%) है। यह भी निर्णय लिया गया कि BSI और समिति के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों का पतंजलि द्वारा अनुपालन किया जाएगा।”

चर्चा के रिकॉर्ड से पता चलता है कि PoRI हरिद्वार के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balakrishna) ने ‘कौशल विकास कार्यक्रम क्षेत्र के माध्यम से क्षेत्र के संरक्षण और आर्थिक विकास के साथ-साथ नृवंशविज्ञान संबंधी उद्देश्यों के लिए गंगा नदी के किनारों के पास पुष्प विविधता का वैज्ञानिक अन्वेषण’ पर प्रस्ताव प्रस्तुत किया। बैठक के बाद बयान में कहा गया, “आचार्य बालकृष्ण ने आर एंड डी के क्षेत्र में पतंजलि की व्यापक गतिविधियों की जानकारी दी और नमामि गंगे मिशन (Namami Gange Mission) का हिस्सा बनने की उनकी उत्सुकता की जानकारी दी।”

आचार्य बालकृष्ण ने दिया यह प्रपोजल

अभिलेखों के अनुसार आचार्य बालकृष्ण ने समिति को सूचित किया कि परियोजना का उद्देश्य “फाइटोकेमिकल विश्लेषण, पुष्प सर्वेक्षण, वृक्षारोपण, वनस्पतियों और जीवों के अनुसंधान और हितधारकों के लिए आउटरीच /आईईसी सहित व्यावसायिक संभावनाओं के पहलुओं को पूरा करना है।

NMCG और PoRI ने 31 अक्टूबर 2022 को अर्थ गंगा के प्रचार और कार्यान्वयन के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। बता दें कि प्रस्तुत प्रस्ताव नमामि गंगे मिशन- II के तहत वित्त पोषण के लिए अर्थ गंगा अवधारणा के अनुरूप है। अर्थ गंगा मुख्य रूप से “अर्थव्यवस्था के पुल के माध्यम से लोगों को नदी से जोड़ने” को दर्शाता करता है।