चौतरफा विरोध के बाद केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि वह पीएफ खातों से निकासी पर टैक्‍स लगाने के बजट प्रस्‍ताव को आंशिक रूप से वापस लेने पर विचार कर सकती है। इससे पहले राजस्‍व सचिव हसमुख अधिया ने साफ किया था कि पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) से निकासी पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा। लेकिन ईपीएफ खाते में एक अप्रैल, 2016 से जमा रकम पर मिलने वाले ब्‍याज पर निकासी के वक्‍त टैक्‍स लगेगा। ब्‍याज की 40 फीसदी रकम करमुक्‍त रहेगी, बाकी 60 फीसदी पर टैक्‍स लगेगा। मूलधन पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा। लेकिन, मंगलवार (एक मार्च) शाम को सरकार ने एक प्रेस नोट जारी किया। इसमें बताया गया कि ब्‍याज पर टैक्‍स लगाने का प्रस्‍ताव विचाराधीन है। इसके बाद अधिया ने बताया कि कई हलकों से टैक्‍स कटौती नहीं करने की मांग की गई है, जिस पर हम विचार कर रहे हैं।

प्रेस नोट में बताया गया कि सरकार के प्रस्‍ताव से केवल 70 लाख ऊंची तनख्‍वाह पाने वालों पर असर पड़ेगा। ईपीएफ यानी एम्‍प्‍लॉयी प्रॉविडेंट फंड के 3.7 करोड़ सदस्‍य हैं। इनमें से तीन करोड़ की तनख्‍वाह 15 हजार रुपए मासिक से कम है। इनके द्वारा निकासी की गई रकम पर टैक्‍स लगाने का प्रस्‍ताव नहीं है। जिन लोगों के ब्‍याज की कुल रकम में से 60 फीसदी पर टैक्‍स बनेगा, वे अगर यह रकम पेंशन स्‍कीम में निवेश करते हैं तो  टैक्‍स माफ हो जाएगा।

प्रेस नोट में कहा गया है कि ईपीएफओ में 60 लाख सदस्‍य ऐस हैं जिन्‍होंने ईपीएफ का विकल्‍प अपनी मर्जी से चुना है और जो प्राइवेट सेक्‍टर की कंपनियों से मोटी तनख्‍वाह ले रहे हैं। ये लोग अभी बिना कोई टैक्‍स दिए पीएफ खाते से पैसा निकाल रहे हैं। हम इसे बदलने जा रहे हैं।

अभी ईपीएफ में निवेश की कोई अधिकतम सीमा तय नहीं है। हां, यह रकम कम से कम इम्‍प्‍लॉयी की बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत होना चाहिए। उसी तरह एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्‍टम) में अंशदान की भी कोई अधिकतम सीमा तय नहीं है। बस यह तय है कि सैलरी का 10 फीसदी से ज्‍यादा नहीं होना चाहिए। अब बजट में इसकी सीमा अधिकतम 1.5 लाख रुपए या सैलरी का 12 फीसदी (जो भी कम हो) तय किए जाने का प्रस्‍ताव किया गया है।

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