देश के कई हिस्सों में प्याज की बढ़ी कीमतों ने सरकार की आंखों में खौफ पैदा कर दिया है। प्याज के आंसू रोकने के लिए सरकार ने बढ़ते खुदरा मूल्य को नियंत्रित करने की कवायद शुरू की। निर्यात पर अंकुश लगाने व घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए शनिवार को प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य को 275 डॉलर बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर दिया।

प्याज का निर्यात मूल्य बढ़ाने का फैसला ऐसे समय में किया गया है जब थोक और खुदरा दोनों ही स्तरों पर प्याज के दाम बढ़ रहे हैं। प्याज की कीमतों में तेजी की वजह साल की शुरुआत में बेमौसम बारिश का होना है। खुदरा बाजार में प्याज के दाम 80 रुपए किलो की ऊंचाई को छू गए हैं।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य मौजूदा 425 डॉलर से बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन करने का फैसला किया गया है। प्याज की कीमतों पर सरकार की पैनी नजर है। उसने 10,000 टन प्याज आयात करने के लिए निविदा जारी की है जो 27 अगस्त को खुलेगी।

न्यूनतम निर्यात मूल्य वह मूल्य है जिसके नीचे निर्यात की इजाजत नहीं होती। पिछले कुछ हफ्ते से प्याज के दाम तेजी से बढ़े हैं। शनिवार को एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का थोक भाव 57 रुपए किलो का स्तर छू गया। सरकार ने इससे पहले 26 जून को प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 250 डॉलर से बढ़ाकर 425 डॉलर प्रति टन किया था। उपभोक्ता मामलों के सचिव 24 अगस्त को एसएफएसी, नाफेड, एमएमटीसी और दिल्ली सरकार के साथ स्थिति का जायजा लेंगे।

दिल्ली की आजादपुर मंडी में शनिवार को प्याज का होल सेल दाम 40-58 रुपए किलो रहा जो फुटकर के ग्राहकों तक 55-90 रुपए किलो तक मिला। चंडीगढ़ में भी प्याज के चढ़े दाम ने लोगों को रुलाया। शहर के सेक्टर-26 की सब्जी मंडी में शनिवार को थोक में प्याज का भाव 40 से 47 रुपए कुंतल रहा। शुक्रवार के मुकाबले भाव पांच रुपए प्रति कुंतल ज्यादा रहे। खुदरा में प्याज 55 से 60 रुपए किलो बिकने लगा है। क्वालिटी के हिसाब से दाम में चार से पांच रुपए की कमी या वृद्धि भी हो सकती है।

गुरुनानक आलू कंपनी के हरजीत सिंह के मुताबिक, अगले दस दिन में दाम थोक में 55 रुपए तक जा सकते हैं। अफगानिस्तान से आपूर्ति होने की बात भी कही जा रही है। इसमें तीन से चार दिन लग सकते हैं। जब तक वहां से आपूर्ति नहीं मिलती, दाम बढ़ते रहेंगे। उसके बाद दामों में उतार की संभावना हो सकती है। प्याज उत्पादित महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्यप्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में काफी फसल खराब होने और पाकिस्तान को निर्यात करने से दामों में अप्रत्याशित तेजी आई है। राजनीति को प्रभावित करने वाले प्याज के बढ़ते भावों पर सरकार का नियंत्रण नहीं रह गया है।

झोल-भात (फिश कढ़ी और चावल) के शौकीन कोलकातावासी भी महंगे प्याज से मायूस हैं। महानगर के विभिन्न बाजारों में बढ़िया प्याज खुदरा दर पर 50 से 60 रुपए किलो बिक रहा है। जानकारों का कहना है कि अगर राज्य सरकार इस तरफ ध्यान नहीं देती है तो प्याज के दामों में और तेजी का तड़का लगने का आशंका है।

प्याज कारोबारियों का कहना है कि पिछले दो-तीन हफ्ते के दौरान मांग बढ़ने और आवक कम होने से प्याज के दामों में उछाल आया है। 30 से 35 रुपए किलो बिकने वाला प्याज 50 से 60 रुपए किलो बिक रहा है। कारोबारियों का कहना है कि बाढ़ के कारण नाशिक से प्याज नहीं आ रहा है, जिस वजह से प्याज महंगा हो गया है। वहीं, ग्राहकों का कहना है कि प्याज इतना महंगा हो गया है कि वे प्याज की खरीदारी में कटौती करने लगे हैं।

आसमान चढ़े दाम को जमीन पर लाने की कवायद:
पत्र सूचना कार्यालय के महानिदेशक फ्रेंक नरोन्हा ने शनिवार को ट्वीट कर बताया कि प्याज आयात करने के लिए पिछले दिनों जारी की गई निविदा 27 अगस्त को खोली जाएगी। इसके तहत 10 हजार टन प्याज का आयात किया जाएगा। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी को 10 हजार टन प्याज आयात करने के निर्देश दिए हैं।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य मौजूदा 425 डॉलर से बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन करने का फैसला किया गया है। उपभोक्ता मामलों के सचिव 24 अगस्त को एसएफएसी, नाफेड, एमएमटीसी और दिल्ली सरकार के साथ स्थिति का जायजा लेंगे।