गौतम शांतिलाल अडानी (Gautam Shantilal Adani) किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आज दुनिया के 100 से अधिक देशों में उनकी कंपनियां अरबों का कारोबार कर रही हैं। अडानी से जुड़ी एक मजेदार बात है कि उन्होंने व्यवसाय करने के लिए कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी।

पत्रकार कमलेंद्र कंवर की पुस्तक ‘द राइज ऑफ गौतम अडानी (The Rise Of Gautam Adani)’ के अनुसार, गौतम अडानी ने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी, क्योंकि उन्हें इसमें मजा नहीं आ रहा था। वह शुरू से ही व्यवसाय करना चाहते थे।

गुजरात यूनिवर्सिटी से बी कॉम की पढ़ाई कर रहे गौतम अडानी ने दूसरे साल में ही पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद वह अपने पिता शांतिलाल अडानी (Shantilal Adani) के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगे। उनके पिता के फैक्ट्री में कपड़ों को लपेटने वाला प्लास्टिक बनाया जाता था। यह 1980 के दशक का दौर था, जब गुजरात के ही धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) कारोबार जगत में छाने लगे थे। संयोग से धीरूभाई अंबानी की रिलायंस भी अडानी के पिता की फैक्ट्री के ग्राहकों में शामिल थी।

Reliance का ऑर्डर पाने Ambani के घर के बाहर खड़े रहते थे Adani

फॉर्च्यून पत्रिका (Fortune India) के एक संस्करण (जुलाई 2011) की कवर स्टोरी के अनुसार, अपने पिता की फैक्ट्री को रिलायंस का ऑर्डर दिलाने में गौतम की ही भूमिका थी। इसमें बताया गया है कि युवा गौतम अडानी दिन-दिन भर यह पता लगाने के लिए धीरूभाई अंबानी के घर के बाहर खड़े रह जाते थे कि अन्य प्रतिस्पर्धी क्या रेट ऑफर कर रहे हैं। अडानी इसी आधार पर कम रेट ऑफर करते थे और इस तरह उन्हें रिलायंस का काम मिल गया था।

Adani को हीरे के कारोबार से लगे पंख

युवा गौतम अडानी को पिता के कारोबार में भी मजा नहीं आया और वह मुंबई चले गए। यहां वह हीरा कारोबारी महिंद्रा ब्रदर्स (Mahindra Brothers) के साथ जुड़ गए। अडानी को यहां काम में मजा आने लगा। दो साल के भीतर ही अडानी ने जावेरी बाजार में खुद का हीरा कारोबार शुरू कर दिया। अडानी ने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

PVC के आयात से Adani ने रखा वैश्विक व्यापार में कदम

हीरा के कारोबार में पांव जमाने के बाद अडानी ने पीवीसी के आयात के जरिए वैश्विक कारोबार में पहला कदम रखा। यह समय था जब भारत वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण के मुहाने पर खड़ा था। वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण की लहर पर सवार होने में गौतम अडानी ने कोई चूक नहीं की। आज परिणाम जगजाहिर है। अडानी की यह कहानी बताती है कि किस्मत भी उन्हीं का साथ देती है, जो बहादुर होते हैं।

अडानी से जुड़ी एक और रोचक कहानी है। कहा जाता है कि अडानी अपने स्कूल के दिनों में अक्सर कांडला पोर्ट घूमने चले जाते थे। इतना विशाल पोर्ट देखकर अडानी हैरान रह जाते थे। कौन जानता था कि आने वाले समय में यही बच्चा इस विशाल कांडला पोर्ट का मालिक बन बैठेगा।

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आपको बता दें कि फोर्ब्स (Forbes) मैगजीन का ताजी रैंकिंग के हिसाब से गौतम अडानी का नेटवर्थ 7,050 करोड़ डॉलर है। वह भारत के दूसरे और एशिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं। वैश्विक स्तर पर अडानी 22वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। आज अडानी समूह बंदरगाह से लेकर सौर ऊर्जा तक के सैकड़ों सेक्टर में काम कर रहा है।