एयर इंडिया (Air India) 67 साल के अंतराल के बाद वापस टाटा समूह (Tata Group) के पास लौट चुकी है। जेआरडी टाटा (JRD Tata) न सिर्फ भारत की इस पहली एयरलाइन के संस्थापक थे, बल्कि उनकी ही अगुवाई में एयर इंडिया दुनिया की सबसे बेहतरीन एयरलाइन में से एक बनी थी। जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) से लेकर राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) तक कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके जेआरडी टाटा से एक समय इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने खत लिखकर माफी मांगी थी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शेयर किया पत्र
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने ट्विटर पर यह प्रकरण साझा किया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा जेआरडी टाटा को लिखे पत्र और उसका उत्तर भी साथ में शेयर किया है।
यह वाकया फरवरी 1978 का है। तब केंद्र में मोरारजी देसाई (Morarji Desai) की अगुवाई वाली सरकार थी। मोरारजी देसाई ने जेआरडी टाटा को एयर इंडिया के चेयरमैन पद से हटा दिया था। मार्च 1953 में एयर इंडिया के सरकारी हो जाने के बाद भी जेआरडी टाटा उसके चेयरमैन बने हुए थे।
JRD Tata को Air India से हटाए जाने के बाद इंदिरा ने लिखा पत्र
सरकार द्वारा जेआरडी टाटा को हटाए जाने के कुछ ही दिनों बाद लिखे इस पत्र में इंदिरा गांधी कहती हैं, ‘‘मुझे इस बात का दुख है कि आप अब एयर इंडिया के साथ नहीं हैं। इस अलगाव से एयर इंडिया को भी आपके जैसा दुख हुआ होगा। आप महज चेयरमैन नहीं थे, बल्कि आप इसके संस्थापक थे और इसकी परवरिश किए थे।’’
विमानों के डेकोरेशन से एयर होस्टेस के ड्रेसेज तक क्वालिटी पर होती थी नजर
इंदिरा गांधी ने इस पत्र में यह भी बताया है कि कैसे जेआरडी टाटा एयर इंडिया से जुड़ी हर छोटी बात का ध्यान रखते थे। विमानों के डेकोरेशन से लेकर एयर होस्टेस के पहनावे तक पर जेआरडी क्वालिटी का ध्यान रखते थे। गांधी आगे कहती हैं, ‘‘हम सभी को आपके और एयर इंडिया के ऊपर गर्व है। आपसे यह सम्मान कोई नहीं छीन सकता है और न ही सरकार के ऊपर आपका कर्ज इससे कम हो जाता है।’’
जेआरडी टाटा इस पत्र के उत्तर में इंदिरा गांधी का आभार प्रकट करते हुए कहते हैं कि एयर इंडिया के साथ काम करना उनका सौभाग्य था। वह लिखते हैं, ‘‘मैं एयर इंडिया के सहकर्मियों, कर्मचारियों और सरकार के समर्थन के बिना कुछ नहीं कर पाता।’’
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इस कारण Air India से हटाए गए थे JRD
आपको बता दें कि एयर इंडिया के टाटा समूह के हाथों से निकलकर सरकारी हो जाने के बाद भी जेआरडी टाटा अपनी कंपनियों से ज्यादा ध्यान इसी पर देते थे। मोरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने एयर इंडिया की फ्लाइट में शराब परोसे जाने का विरोध किया। टाटा इस निर्णय से सहमत नहीं थे। यही असहमति एयर इंडिया से टाटा की विदाई का कारण बन गई। हालांकि बाद में जब इंदिरा गांधी सत्ता में लौटीं, तो उन्होंने पुन: जेआरडी को एयर इंडिया का चेयरमैन बनाया। लेकिन एयर इंडिया के पतन की शुरुआत उसी रोज हो गई थी, जब टाटा को हटाया गया था। कई साल तक घाटे में चलाने के बाद अंतत: सरकार तीन प्रयासों में एयर इंडिया को बेचने में सफल हो पाई। टाटा संस (Tata Sons) ने 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाकर एयर इंडिया को वापस अपनी झोली में डाल लिया।