आज के समय में लगभग हर किसी व्यक्ति का यह सपना होता है कि उसका भी बड़े शहर में एक घर हो। कई लोगों का यह सपना पूरा भी हो जाता है लेकिन इसके लिए उनको लोन लेना पड़ता है और उनकी पूरी लाइफ लोन की EMI की चुकाने में चली जाती है लेकिन अगर आपको कहें कि एक ऐसा व्यक्ति जिसने 7,000 रुपये महीने की सैलरी से अपने करियर की शुरूआत की। उसने दो बड़े शहरों नोएडा और बैंगलोर में अपना फ्लेट खरीदा, उसके लिए उसने 1 करोड़ रुपये से अधिक का लोन लिया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि 35 साल की उम्र में अब वह लगभग कर्ज मुक्त हैं। हाल ही में एक यूजर ने अपनी यह कहानी शेयर की है, जो सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रही है।
इस रेडिट यूजर की कहानी ने सिर्फ एक प्रेरणा है, बल्कि एक व्यावहारिक मनी मैनेजमेंट का मार्गदर्शन भी है जिसे हर युवा वर्किंग प्रोफेशनल को पढ़ना चाहिए। साधारण बैकग्राउंड से आने वाला यह व्यक्ति, जिसने 2013 में मामूली सैलरी पर अपनी पहली नौकरी शुरू की थी, आज 35 वर्ष की आयु में दो बड़े शहरों में फ्लैट का मालिक है और लगभग कर्ज मुक्त भी है। न कोई बड़ी डिग्री, न कोई विदेशी नौकरी। फिर भी, अनुशासन, समय पर लिए गए फैसलों और मजबूत वित्तीय सोच की बदौलत उसने यह सब हासिल किया। यह कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है जो सीमित आय में भी वेल्थ को मैनेज करना चाहते हैं और समय से पहले कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं।
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छोटी शुरूआत लेकिन बड़ी सोच
इस व्यक्ति ने जब साल 2013 में नोएडा में अपनी पहली नौकरी शुरू की, तो उस वक्त उसकी सैलरी केवल 7 हजार रुपये महीने थी। कुछ वक्त के बाद वह बैंगलोर चले गए और CDAC से टेक कोर्स किया, जहां उन्हें 45 से अधिक कंपनियों से रिजेक्शन का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने सीखना बंद नहीं किया। यही उनके लिए उनके भविष्य की वित्तीय यात्रा का आधार बना।
उन्हें एक सीनियर एचआर से मिले फाइनेंशियल सुझाव उनके लिए काफी मददगार साबित हुए, ‘बचत को किराए की तरह समझें- हर महीने जरूरी।’ उन्हें एक और सलाह मिली – ‘क्रेडिट कार्ड से दूर रहें – यह कर्ज नहीं, एक जाल है।’
उन्होंने इसी सोच के साथ अपने हर खर्च पर नजर रखना शुरू किया, क्रेडिट कार्ड का कम से कम इस्तेमाल करने लगे और फिजूलखर्ची से दूर रहने लगे।
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फाइनेंशियल प्लानिंग की पहली नजर
उनकी बचत की शुरूआत टैक्स सेविंग एफडी से हुई। जिसमें उन्हें बेहतर व्यजार मिला। उन्होंने धीरे-धीरे एसआईपी और शेयरों में भी निवेश किया। उन्हें कुछ निवेशों ने 5 वर्षों में 50% से 300% तक का रिटर्न दिया। कुछ गलतियां भी हुई, लेकिन हर गलती से सीखने की उनकी आदत ने उन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोका। धीरे-धीरे उनकी निवेश शैली एक दिनचर्या बन गई।
पहला घर
उन्होंने जब साल 2018 में नोएडा में एक फ्लैट खरीदने का फैसला किया, तब तक उन्होंने 5 लाख रुपये बचा लिए थे। नई नौकरी ने उन्हें 1 लाख रुपये का ज्वाइनिंग बोनस और 1 लाख रुपये का री-लोकेशन अलाउंस दिया। उनके पिता ने 7 लाख रुपये के डाउन पेमेंट में मदद की। उन्होंने 25 साल के लिए लगभग 55-60 लाख रुपये का लोन लिया। लेकिन यहां भी उन्होंने अपनी शर्तें तय कीं अगर वह कभी EMI चुकाने में चूक गए, तो वह फ्लैट बेच देंगे।
उनका हर वर्ष 14 ईएमआई (यानी 2 अतिरिक्त) चुकाने का नियम था। उन्होंने लोन जल्दी चुकाने के लिए बोनस और अतिरिक्त भुगतान का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, वह केवल ईएमआई चुकाने वाली मशीन नहीं बने। उन्होंने दोस्तों के साथ समय बिताया, यात्रा की, पार्टियां कीं और जीवन का आनंद लिया।
शादी, बैंगलोर वापसी और दूसरा घर
उनकी साल 2021 में शादी हुई। जब साल 2023 में उनकी पत्नी गर्भवती थीं, तो उन्होंने जिद की कि बच्चा उनके अपने घर में ही पैदा हो। इसी भावनात्मक पहलू को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने बैंगलोर में दूसरा घर ढूंढा और 40 लाख रुपये का नया लोन लिया। इसके साथ ही, उन्होंने 10 लाख रुपये का कार लोन भी लिया।
मौजूदा समय में वे लगभग कर्ज मुक्त और आत्मनिर्भर हो गए
उन पर कुल तीन लोन (दो होम लोन और एक कार लोन) थे जिनकी राशि 1 करोड़ रुपये से अधिक थी। लेकिन उन्होंने समय से पहले 75-80 फीसदीलोन चुका दिया है। अगर वह चाहते, तो आज ही सब कुछ चुका सकते थे, लेकिन उन्होंने टैक्स छूट को ध्यान में रखते हुए लोन लेना जारी रखा।
क्या है उनकी सफलता का मूलमंत्र?
अनुशासन को जीवनशैली बनाना, क्रेडिट कार्ड से दूर रहना, हर पैसे का हिसाब रखना, बोनस का सही इस्तेमाल करना, साधारण लेकिन स्मार्ट जीवनशैली और रियल एस्टेट में समझदारी भरा निवेश करना उनकी सफलता का मूलमंत्र है।
[डिस्क्लेमर: ये आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से निवेश सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। Jansatta.com अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।]
